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ट्रंप ने हार्वर्ड में विदेशी स्टूडेंट्स के पढ़ने पर रोक लगाई तो लाखों स्टूडेंट्स का सपना टूट जाएगा, जानिए क्या है पूरा मामला – donald trump actions against harvard university may shatter dreams of million of students

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अमेरिकी सरकार और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच टकराव बढ़ता दिख रहा है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने ट्रंप सरकार के फरमान के आगे झुकने से इनकार कर दिया। इससे ट्रंप सरकार आगबबूला है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि हार्वर्ड ने जिस तरह से सरकार की धमकी का जवाब दिया है, वह पूरे अमेरिका के उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक बड़ा संदेश है। अमेरिका में हायर एजुकेशन से जुड़े इंस्टीट्यूशंस ट्रंप सरकार के इस रुख से नाखुश हैं।सरकार ने आर्थिक सहायता पर रोक लगाईअमेरिकी सरकार पहले ही हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को मिलने वाली 27 लाख डॉलर की आर्थिक सहायता पर रोक लगा चुकी है। अब उसने कहा है कि अगर यूनिवर्सिटी सरकार की मांगें पूरी नहीं करती है तो विदेशी स्टूडेंट्स के हार्वर्ड में दाखिले पर रोक लगा दी जाएगी। गौरतलब है कि हार्वर्ड दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में से एक है। भारत सहित दुनियाभर में बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स हार्वर्ड यूानिवर्सिटी में पढ़ने का सपना देखते हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा सहित कई बड़ी हस्तियां हार्वर्ड में पढ़ाई कर चुकी हैं।संबंधित खबरेंगृह मंत्री क्रिस्टी नोएम ने दी है धमकीअमेरिका में डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी की सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने कहा है कि उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को एक लेटर लिखा है। इसमें उन्होंने यूनिवर्सिटी से अवैध और हिंसक गतिविधियों में शामिल विदेशी स्टूडेंट्स के बारे में जानकारियां मांगी हैं। यूनिवर्सिटी को 30 अप्रैल तक जानकारी उपलब्ध कराने को कहा गया है। अमेरिका का डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी का दर्जा उसी तरह से है जैसे भारत में गृह मंत्रालय है। इस तरह क्रिस्टी नोएम ट्रंप सरकार की गृहमंत्री की तरह हैं।यूनिवर्सिटी कानूनी लड़ाई लड़ने को तैयारनोएम ने एक बयान में कहा, “अगर हार्वर्ड सरकार की तरफ से मांगी गई जानकारियां नहीं देती है तो उसमें विदेशी स्टूडेंट्स के दाखिले पर रोक लगा दी जाएगी।” इस बीच, हार्वर्ड के प्रवक्ता ने अपने जवाब में कहा है कि यूनिवर्सिटी अपनी आजादी और संवैधानिक अधिकारों से किसी तरह का समझौता करने को तैयार नहीं हैं। यूनिर्विसिटी ने कहा है कि वह कानून के हिसाब से इस मामले में कदम उठाएगी। बताया जाता है कि यह पूरा मामला फलिस्तीन के समर्थन में हुए प्रदर्शन से जुड़ा है, जिसमें कुछ यूनिवर्सिटीज के स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया था।सरकार के गुस्से की असली वजहअमेरिकी सरकार उन सभी यूनिवर्सिटीज की आर्थिक सहायता रोकने का धमकी दे रही है, जिनके स्टूडेंट्स ने फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था। गाजा पर इजरायल की सैन्य कार्रवाई की प्रतिक्रिया में अमेरिका में विरोध प्रदर्शन हुए थे, जिनमें कई स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया था। इजरायल अमेरिका का सहयोगी है। अमेरिकी सरकार ऐसे कुछ स्टूडेंट्स को देश से निकालने पर भी जोर दे रही है। उसने सैकड़ों स्टूडेंट्स के वीजा पर रोक लगा दी है।बराक ओबामा ने की हार्वर्ड की तारीफइससे पहले हार्वर्ड हायरिंग, एडमिशन और पढ़ाने के तरीके में बदलाव को लेकर अमेरिकी सरकार की मांग मानने से इनकार कर चुकी है। बराका ओबामा ने इसके लिए हार्वर्ड की तारीफ की है। उन्होंने कहा है कि इससे दूसरी यूनिवर्सिटीज को प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हायर एजुकेशनल संस्थान अपनी आजादी को कुचलने की कोशिशों का विरोध कर सकते हैं। यह ध्यान में रखने वाली बात है कि हार्वर्ड अमेरिका की पहली यूनिवर्सिटी है, जो खुलकर अमेरिकी सरकार का विरोध कर रही है। यूनिवर्सिटी ने कहा है कि वह झुकने के बजाय कानूना का रास्ता अपनाने को तैयार है।

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