त्योहारी सीजन में ₹40,000 तक क्यों पहुंच जाता है किराया, इंडिगो के CEO ने दिया जवाब – why airfares touch rs 40000 in festive season indigo ceo pieter elbers explains
पिछले काफी समय से एयरलाइंस की आलोचना होती रही है कि वे त्योहारी सीजन के दौरान हवाई किराया काफी ज्यादा बढ़ा देती हैं। दिवाली जैसे मौकों पर सरकार ने भी कहा कि विमानन कंपनियों को बेहिसाब किराया नहीं बढ़ाना चाहिए। यही चीज महाकुंभ के दौरान प्रयागराज के किराये में भी देखने को मिली। अब इंडिगो (IndiGo) के CEO पीटर एल्बर्स (Pieter Elbers) हवाई किराए पर बढ़ती सार्वजनिक आलोचना के बारे में खुलकर बात की।एल्बर्स का कहना है कि ये ऊंचे किराए कुछ ही समय के लिए होते हैं, जो मुख्य रूप से मांग आधारित एल्गोरिदम के कारण होते हैं। इसके पीछे एयरलाइंस का मकसद जानबूझकर यात्रियों को शोषण करना नहीं होता।हवाई किराये के बारे में क्या बोले एल्बर्ससंबंधित खबरेंएल्बर्स ने उदाहरण देते हुए कहा, “अगर किसी रूट पर एक टिकट ₹40,000 का है, तो यह असामान्य है और अस्थायी स्थिति होती है। कभी-कभी ये सिस्टम अपने आप कीमतों को बढ़ा देते हैं।”उन्होंने जोर दिया कि असल चर्चा इस बात पर होनी चाहिए कि एयरलाइन ने महाकुंभ जैसे मौके पर भारी मांग को कैसे संभाला। उन्होंने मिसाल के तौर पर बताया कि इंडिगो ने प्रयागराज के लिए उड़ानों की संख्या दोगुनी कर दी थी, ताकि अधिक से अधिक यात्री यात्रा कर सकें। उन्होंने कहा, “हमने लगभग एक हजार उड़ानें संचालित कीं, और प्रत्येक उड़ान में 230 सीटें थीं। तो यह करीब पांच लाख यात्रियों के बराबर है।”‘किराया कम करने की मांग प्रैक्टिकल नहीं’एल्बर्स ने यह भी स्पष्ट किया कि हवाई किराए कम रखने की मांग करते वक्त हम यह नहीं भूल सकते कि एयरलाइंस के ऑपरेशनल खर्च भी होते हैं। उनका कहना था कि अगर एयरलाइनें बिना लागतों को ध्यान में रखते हुए बहुत कम किराए पर उड़ान भरने की कोशिश करें, तो यह उनके बिजनेस की स्थिरता के लिए खतरा बन सकता है।एल्बर्स ने केंद्र सराकर द्वारा यात्रियों की शिकायतों को हल करने के लिए ‘एयर सेवा’ (Air Sewa) सेल की स्थापना को अच्छा कदम बताया। लेकिन उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारतीय बाजार एक ऐसा क्षेत्र है जो दुनिया के सबसे प्रतिस्पर्धी बाजारों में से एक है। उन्होंने कहा, “भारत का एयरलाइन बाजार सबसे प्रतिस्पर्धी है, और किराए औसतन बहुत प्रतिस्पर्धी हैं।”उन्होंने कहा कि हवाई किराए और एयरलाइन के ऑपरेशनल खर्चों के बीच एक सही संबंध होना चाहिए। अगर इस संबंध को नजरअंदाज किया जाता है, तो एयरलाइंस लंबे समय तक अपने कारोबार को नहीं चला पाएंगी।यह भी पढ़ें : ICICI बैंक इस कंपनी में बेचेगा अपनी 18.8% हिस्सेदारी, ₹6.58 करोड़ रुपये तक मिलने की उम्मीद