पत्नी ने पति की इज्जत पर लगाया बट्टा, तो कोर्ट ने ठोका 1 लाख रुपये का जुर्माना – wife fined by rupees 1 lakh for defaming husband ijjat fined by calcutta high court story behind fine
कोलकत्ता हाईकोर्ट ने एक मामले में पत्नी को अपने पति की इज्जत खराब करने के लिए 1 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। मामला तब सामने आया जब पत्नी ने अखबार में दो बार ऐसा नोटिस छपवाया, जिसमें लिखा था कि उसका पति दूसरी शादी करने वाला है, जबकि उनका तलाक अभी तक हुआ ही नहीं था। पति सरकारी नौकरी में सहायक इंजीनियर के पद पर हैं। उन्होंने कोर्ट में बताया कि ये खबरें बिल्कुल झूठी थीं और इससे उनकी साख और इज्जत को समाज में बहुत नुकसान हुआ।मामला कैसे शुरू हुआ?1994 में दोनों की शादी हुई थी।संबंधित खबरें1996 में उनका बेटा हुआ।2005 में पति ने पत्नी पर क्रूरता और साथ छोड़ने का आरोप लगाकर तलाक की अर्जी लगाई।2008 में ट्रायल कोर्ट ने तलाक मंजूर किया, लेकिन पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील कर दी।3 और 5 दिसंबर 2008 को पत्नी ने अखबार में नोटिस छपवाए कि पति दूसरी शादी करने जा रहा है।2025 में हाईकोर्ट ने पत्नी को मानहानि का दोषी माना और मुआवजा देने का आदेश दिया।पत्नी ने क्या कहा?पत्नी ने कोर्ट में कहा कि उसने ये नोटिस किसी को बदनाम करने के लिए नहीं छपवाए, बल्कि इसलिए ताकि लोग जान सकें कि उसका पति अभी भी उससे शादीशुदा है और दूसरी शादी करना गलत होगा। लेकिन जब कोर्ट ने पूछा कि उसे ये बात कैसे पता चली, तो वह ना तो कोई सबूत दे सकी और ना ही उस महिला का नाम बता सकी, जिससे उसके पति की शादी होने वाली थी।कोर्ट ने क्या कहा?कोर्ट ने साफ कहा कि एक आदमी की इज्जत उसकी सबसे कीमती संपत्ति होती है। कोर्ट ने माना कि इस तरह के झूठे इल्जाम और खबरें, चाहे वो जानबूझकर की गई हों या ना हों, किसी की साख को नुकसान पहुंचाते हैं। और जब ये बात बिना किसी सबूत के कही जाए, तो ये मानहानि के दायरे में आती है।क्यों देना पड़ा मुआवजा?कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने जो नोटिस छपवाए, उनसे पति की इज्जत और समाज में छवि खराब हुई। कई लोगों ने गवाही दी कि उनके नजर में पति की छवि को नुकसान हुआ। इसलिए कोर्ट ने माना कि पति को मानसिक और सामाजिक तौर पर बहुत परेशानी उठानी पड़ी। इसलिए कोर्ट ने आदेश दिया कि पत्नी को पति को 1 लाख रुपये का मुआवजा 3 महीने के अंदर देना होगा।इस फैसले की अहमियतकोलकाता हाईकोर्ट का फैसला एक कड़ा संदेश देता है कि चाहे पति हो या पत्नी, कोई भी बिना सबूत के एक-दूसरे की बदनामी नहीं कर सकता। यह भी साफ हुआ कि अगर कोई झूठी बात को अखबार या सोशल मीडिया पर फैलाता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है, भले ही उसका इरादा बुरा ना भी हो। यह फैसला ये भी बताता है कि इज्जत सिर्फ एक भावना नहीं, बल्कि कानून में सुरक्षित एक अधिकार है।UPI ट्रांजेक्शन होंगे और तेज, 16 जून से बदल रहे हैं नियम, सरकार ने किये अहम बदलाव