Mother’s Day Special: आज की ‘मॉम’ बच्चों को कैसे सिखा रहीं बचत की ABCD, किन बातों पर रहता है जोर? – mothers day financial lessons todays moms teach kids
Mother’s Day Special: सोशल मीडिया पर पैरेंटिंग से जुड़े विषयों को लेकर काफी जागरूकता दिखता है। खासकर नई पीढ़ी की माताएं अपने बच्चों को संस्कार और अनुशासन सिखाने से लेकर तनाव से निपटने, स्वास्थ्य और करियर जैसे मुद्दों पर खुलकर बात कर रही हैं। लेकिन क्या ये मॉम अपने बच्चों के फाइनेंशियल फ्यूचर को लेकर भी उतनी ही सजग हैं?सोशल मीडिया-एक्टिव कई माताएं मानती हैं कि वे अब अपने फाइनेंशियल मैनेजमेंट को लेकर गंभीर हो रही हैं। हालांकि, इसमें उन्हें कई चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है।एजुकेशन से इमरजेंसी फंड तक की प्लानिंगसंबंधित खबरेंसिलीगुड़ी की अनुशिखा बंसल (39 साल) अगस्त 2020 से बच्चों के लिए एजुकेशनल टिप्स सोशल मीडिया पर साझा कर रही हैं। उनके लिए बेटे की उच्च शिक्षा के लिए फंड बनाना बड़ी प्राथमिकता है, जिसे वे बढ़ती शिक्षा लागत को देखते हुए समय रहते तैयार करना चाहती हैं।मुंबई की आंत्रप्रेन्योर अवंतिका बहुगुणा (42 साल) और असम की रूपल बजाज (33 साल) भी सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। ये दोनों भी अपनी निवेश योजनाओं को लेकर सजग नजर आती हैं। बजाज कहती हैं कि वह बजट में जन्मदिन और पार्टियों जैसे खास मौकों के लिए भी अलग रकम तय करती हैं, ताकि खर्च नियंत्रण में रहे।बजटिंग और फाइनेंशियल डिसिप्लिन पर जोरअनुशिखा बंसल एक स्ट्रक्चर्ड बजटिंग सिस्टम अपनाती हैं- एक ऐसा घरेलू खर्च खाता जो पति-पत्नी दोनों मिलकर चलाते हैं और हर महीने ट्रैक करते हैं। इसके अलावा उन्होंने UPI ट्रांजैक्शन के लिए एक अलग बैंक खाता रखा है जिसमें मंथली लिमिट तय है। उनका कहना है, “ऑनलाइन खर्च को कंट्रोल करने के लिए यह बेहद जरूरी कदम रहा।”अवांतिका बहुगुणा बताती हैं कि पहले वे टैक्स और निवेश जैसे मामलों में दूसरों पर निर्भर थीं, लेकिन अब वे स्वयं अकाउंटेंट से चर्चा कर इन्वेस्टमेंट डिसीजन लेती हैं।इमरजेंसी के लिए फंड बनाना जरूरीफाइनेंशियल एक्सपर्ट का मानना है कि कम से कम 3 से 6 महीने की आवश्यक जरूरतों को कवर करने लायक इमरजेंसी फंड होना बेहद जरूरी है। जैसे कि EMI, घर का किराया, ग्रॉसरी, बच्चों की देखरेख।बहुगुणा और बंसल ने अपने बचत का एक हिस्सा विशेष रूप से इमरजेंसी के लिए अलग रखा है। दोनों माताएं बेहद जरूरी होने पर ही इस फंड को हाथ लगाती हैं।आर्थिक फैसलों में साझा भागीदारीरूपल बजाज कहती हैं कि उनके पति फाइनेंशियल रिसर्च करते हैं, लेकिन निवेश के फैसले दोनों मिलकर लेते हैं। वे फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड में SIP के जरिए निवेश करती हैं। बंसल का भी यही मानना है कि निवेश में पारदर्शिता और आपसी समझ जरूरी है। वे दीर्घकालिक और अल्पकालिक लक्ष्य निर्धारित कर पोर्टफोलियो बनाती हैं।बच्चों को सिखा रही हैं पैसे की अहमियतअनुशिखा बंसल अपने सात साल के बेटे को हर हफ्ते पॉकेट मनी देती हैं और उसे बजट बनाना सिखाती हैं। वह ‘हमारे पास पैसे नहीं हैं’ जैसे नकारात्मक वाक्य से बचती हैं और बच्चे को सोच-समझकर खर्च करना सिखाती हैं।बहुगुणा की 13 साल की बेटी पांच साल की उम्र से इमरजेंसी फंड बना रही है और वह खरीदारी से पहले मां से सलाह भी लेती है। वहीं, बजाज अपने चार साल के बेटे को गुल्लक के जरिए बचत की आदत डाल रही हैं और उसे फाइनेंशियल लिटरेसी से जुड़े बच्चों के लिए आसान किताबें भी पढ़ा रही हैं।गलतियों से सबक और लॉन्ग टर्म नजरियाबजाज मानती हैं कि कई बार माएं ‘गिल्ट’ या सामाजिक दबाव में बच्चों पर जरूरत से ज्यादा खर्च कर बैठती हैं। जैसे कि महंगे कपड़े, पार्टियां या कोचिंग। इससे परिवार का बजट बिगड़ सकता है। प्लान माय एस्टेट के शैलेंद्र दुबे कहते हैं, “अपने गोल्स पर फोकस करने वाला निवेश जरूरी है, ना कि भावनात्मक खर्च।”फाइनएज के COO मयंक भटनागर कहते हैं, “इमरजेंसी फंड के बाद अगला कदम लॉन्ग टर्म गोल- जैसे बच्चों की शिक्षा और रिटायरमेंट की प्लानिंग होना चाहिए।”फाइनेंशियल एक्सपर्ट का मानना है कि हर महिला को, चाहे वह होममेकर हो या प्रोफेशनल, परिवार के वित्तीय फैसलों में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। इससे वे न केवल अपने परिवार की वित्तीय स्थिति को बेहतर बना सकती हैं, बल्कि अपने बच्चों को भी जिम्मेदार और जागरूक वित्तीय नागरिक बना सकती हैं।यह भी पढ़ें : Saving Tips: लाइफस्टाइल से समझौता किए बगैर करना चाहते हैं बचत? ये हैं 6 आसान तरीके