Commodity Market: बढ़ रहा है सोयाबीन का उत्पादन, क्या आगे भी अच्छी होगी फसल – commodity market soybean production is increasing will the crop be good in future too
Commodity Market: देश में सोयाबीन का उत्पादन बढ रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 में देश में सोयाबीन की फसल 118.74 लाख टन रही थी जो कि वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर 125.82 लाख टन पर पहुंच गई है।बता दें कि 2024-25 में सोयाबीन का ओपनिंग स्टॉक 8.94 लाख टन पर रहा जबकि अक्टूबर-सितंबर में सोयाबीन की फसल 125.82 लाख टन रही है।महज 0.05 लाख टन सोयाबीन इंपोर्ट हुआ है। जबकि बुवाई के लिए 12.00 लाख टन सोयाबीन रखा गया है। पेराई के लिए 122.81 लाख टन सोयाबीन मौजूद है।इस साल उत्पादन पिछले साल से कम रह सकता SOPA के ईडी डी.एन. पाठक ने कहा कि बारिश से फसल को नुकसान हुआ है। महाराष्ट्र, राजस्थान, MP में बारिश से फसल को नुकसान हुआ है। इस साल उत्पादन पिछले साल से कम रह सकता है। देश में सोयाबीन के हालात अच्छे नहीं है। कम बुआई, कम यील्ड से उत्पादन भी कम होने की आशंका है। भारत की यील्ड 1 टन प्रति हेक्टेयर से भी कम है। वहीं अमेरिका की यील्ड 5 टन/हेक्टेयर है। जरुरत यील्ड बढ़ाने की है। उन्होंने आगे कहा कि दूसरें देशों में यील्ड 5 लाख टन से भी ज्यादा है।SEBI चेयरमैन ने कमोडिटी बाजार को लेकर किए बड़े ऐलानवहीं दूसरी आज की सबसे अहम खबर है कि सेबी के चेयरमैन ने कहा कि कमोडिटी डेरेविटव्स मार्केट के विस्तार के लिए काम किया जा रहा है। उन्होंने ये बातें एमसीएक्स के एक इवेंट में कही। उन्होंने कहा कि देश के कमोडिटी मार्केट की मजबूती सेबी के डेवलपमेंट एजेंडे में टॉप प्रॉयोरिटी पर बनी हुई है। सेबी के चेयरमैन का कहना है कि सरकार बैंकों, बीमा कंपनियों और पेंशन फंडों को कमोडिटी ट्रेडिंग में हिस्सा लेने की मंजूरी देने के लिए सरकार के साथ बातचीत हो रही है। इससे कमोडिटी ट्रेडिंग में इंस्टीट्यूशनल हिस्सेदारी बढ़ेगी। अभी की बात करें तो उन्होंने बताया कि सेबी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) को नॉन-कैश सेटल्स, नॉन-एग्रीकल्चरल कमोडिटी डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट्स में ट्रेडिंग को मंजूरी देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। अभी विदेशी निवेशक कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस फ्यूचर्स जैसे कैश-सेटल्ड कॉन्ट्रैक्ट्स तक ही सीमित हैं। इनमें विदेशी निवेशकों की ओवरऑल मार्केट वॉल्यूम में करीब 5% और एनर्जी सेगमेंट में करीब 8% हिस्सेदारी है।अगर नॉन-कैश सेटल्ड इंस्ट्रूमेंट्स में एफपीआई को ट्रेडिंग की मंजूरी मिलती है तो इससे उन्हें गोल्ड-सिल्वर और बेस मेटल्स की ट्रेडिंग का एक्सेस मिलेगा। इससे लिक्विडिटी बढ़ेगी और एमसीएक्स जैसे घरेलू एक्सचेंजों पर वॉल्यूम बढ़ेगा। उन्होंने आगे कहा कि कमोडिटीज की फिजिकल डिलीवरी में शामिल मार्केट पार्टिसिपेंट्स के सामने आने वाली जीएसटी की दिक्कतों को सुलझाने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम जारी रखा जाएगा।