Ladies Special: अभी बना लें इनवेस्टमेंट प्लान तो आगे नहीं सताएगी खर्च की चिंता – ladies special prepare an investment plan early then you will not have to bother for your expenditure
जीवन के अलग-अलग पड़ाव पर पैसे की जरूरत बदलती जाती है। इसकी वजह यह है कि आपके लक्ष्य और आकांक्षाएं बदलती जाती हैं। वेल्थ बनाने का मतलब सिर्फ सही स्टॉक या म्यचुअल फंड का चुनाव करना नहीं है। इसमें कई चीजें शामिल होती हैं। वेल्थ बनाना 100 मीटर की दौड़ नहीं है बल्कि यह एक मैराथन है। इसके लिए वित्तीय मामलों में अनुशासन जरूरी है। एक महिला के सामने अलग-अलग उम्र में अलग-अलग तरह की स्थितियां होती हैं।20 प्लस की महिलाकई महिलाओं के लिए कमाई का मतलब अपनी इच्छा के अनुसार खर्च करने की आजादी है। कई बार इसका मतलब फाइनेंशियल फ्रीडम मान लिया जाता है। लेकिन, फाइनेंशियल फ्रीडम का मतलब ऐसी स्थिति से है, जब आपके पास अपनी वित्तीय जरूरतों ओर लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पैसा होता है। इसलिए किसी महिला के अपनी इच्छा के हिसाब से अपनी कमाई खर्च करने से उसके सेविंग्स पर असर पड़ सकता है। इसलिए हर महिला को अपनी सैलरी का 30-40 फीसदी हिस्सा सेविंग्स के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। यह तभी हो सकता है, जब आप अपने खर्च को कंट्रोल में रखेंगी और ‘बाय नाउ पे लेटर’ जैसी स्कीम से दूरी बनाए रहेंगी।अगर कोई महिला जल्द सेविंग्स की शुरुआत करती है तो इससे बड़ा फंड तैयार हो सकता है। हर महीने के 10,000 रुपये के इनवेस्टमेंट पर अगर सालाना 12 फीसदी रिटर्न मान लिया जाए तो इससे 20 साल में 1 करोड़ रुपये का फंड तैयार हो सकता है। लेकिन, इतना ही पैसा 10 साल बाद इनवेस्ट करने पर सिर्फ 23 लाख रुपये का फंड तैयार होगा। 20 प्लस ईयर्स की महिलाएं Nifty 50 इंडेक्स फंड में निवेश शुरू कर सकती हैं।संबंधित खबरेंजस्ट मैरिडमहिलाएं रुपये-पैसे के मामलों पर बातचीत करने में संकोच करती हैं। लेकिन, अपने पार्टनर के फाइनेंशियल लाइफ और हैबिट्स के बारे में जानना बहुत जरूरी है। इससे पति और पत्नी बाद में मिलकर मनी मैनेजमेंट कर सकते हैं। वे भविष्य में किसी तरह की अनिश्चितता का बेहतर तरीके से सामना कर सकते हैं। वह वित्तीय जिम्मेदारियों को आपस में बांट भी सकते हैं। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि कई महिलाएं अपनी इनकम अपने पति के हाथ में सौंप देती हैं। यहां तक वे पति के लोन की किस्त भी खुद चुकाने लगती हैं।30 प्लस की महिलाउम्र 30 साल पार कर जाने का मतलब है कि आपको अब वेल्थ क्रिएशन पर फोकस बढ़ाना होगा। लेकिन, इससे पहले एक इमर्जेंसी फंड होना जरूरी है। यह फंड आपके कम से कम 6 महीनों के खर्च के लिए पर्याप्त होना चाहिए। इसके लिए आपको लोन पर घर खरीदने के बारे में तभी सोचना चाहिए जब आप फ्लैट की कीमत का 30-40 फीसदी डाउनपेमेंट कर सकती हैं। अगर पति और पत्नी मिलकर लोन ले रहे हैं तो फिर दोनों को EMI में एक बराबर कंट्रिब्यूशन करना होगा। आपके पास लाइफ इंश्योरेंस और टॉप-अप हेल्थ कवर भी होना चाहिए। आप किसी फाइनेंशियल प्लैनर से मिलकर अपने गोल्स तय कर सकती हैं। इसमें बच्चों की शिक्षा और रिटायरमेंट शामिल होना चाहिए।40 प्लस की महिलायह वक्त अपने वेल्थ को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने का है। अगर आपने रिटायरमेंट के लिए 50 साल की उम्र तय की है तो आपको अपने लोन अकाउंट को बंद करने और प्लान बी के बारे में सोचना होगा। प्लान बी का मतलब ऐसी स्थिति से है, जिसमें आपकी कमाई उतनी नहीं रह जाएगी, जितनी पहले थी। रिटायरमेंट में किसी तरह की दिक्कत नहीं आए, इसके लिए जरूरी है कि आपकी वित्तीय जिम्मेदारियां ठीक तरह से पूरी हो जाए। इसमें बच्चों का एजुकेशन और विवाह-शादी शामिल हैं।