Holika Dahan 2025 Muhurat: आज है होलिका दहन, रहेगा भद्रा का साया, जानें शुभ मुहूर्त और कैसे करें पूजा – holika dahan 2025 bhadra kal on chhoti holi muhurat timing katha puja vidhi know details
होलिका दहन के बाद रंग की होली खेली जाती है। हिंदू धर्म में होली को उत्साह का पर्व माना गया है। होली का पर्व देश ही नहीं विदेशों में भी मनाया जाता है। मथुरा और काशी की होली तो पूरी दुनिया में मशहूर है। देश के कोने-कोने में इस पर्व की धूम दिखाई देने लगी है। होली (Holi 2025) से पहले होलिका दहन की परंपरा है। आज (13 मार्च 2025) होलिका दहन है। मान्यताओं के अनुसार होलिका दहन शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए। लेकिन इस बार होलिका दहन के समय भद्रा का साया पड़ रहा है। ऐसे में होलिका दहन के लिए बहुत कम समय मिलने वाला है।हर साल होलिका दहन का त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि के दिन होता है। होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। माना जाता है कि जिस घर में होलिका दहन होती है। उस घर में कभी भी नकारात्मक शक्तियां का प्रभाव नहीं होता है। सनातन धर्म में होलिका दहन के लिए पंचांग देखने की परंपरा है। यही कारण है कि होलिका दहन के दौरान शुभ मुहूर्त, पूजा विधि का विशेष महत्व है।जानिए कब है होलिका दहनसंबंधित खबरेंलोकल 18 से बातचीत करते हुए ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने कहा कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार इस साल भी होलिका दहन के दिन भद्रा का साया रहेगा। 13 मार्च को होलिका दहन है। आज (13 मार्च) सुबह 10.04 बजे से भद्रा की शुरुआत होगी। समापन उसी दिन रात 10.30 बजे होगी। होलिका दहन करने का शुभ मुहूर्त 13 मार्च रात्रि 10.54 बजे के बाद है। यह मध्य रात्रि 12.45 बजे तक रहेगा। 13 मार्च को ही साल का पहला चंद्र ग्रहण भी रहेगा।जानिए कौन है भद्रासनातन शास्त्रों के अनुसार भद्रा शनि देव की बहन यानी सूर्यदेव की पुत्री हैं। भद्रा का स्वभाव क्रोधी माना गया है। भद्रा के स्वभाव क्रोध की वजह से शुभ और मांगलिक काम को भद्रा की अवधि में नहीं किया जाता है। इस दौरान इन कामों को करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है। इसी वजह से भद्रा काल के समय शुभ और मांगलिक काम नहीं करने की सलाह दी जाती है।होलिका दहन पूजा विधिहोलिका के चारों ओर पांच, सात या 11 बार सूत को लपेटे। दक्षिण दिशा में बैठकर एक कलश में जल भरकर ॐ होलिकाय नमः मंत्र का जाप करें। इसके साथ ही होलिका और प्रहलाद की पंचो उपचार विधि से पूजा करें। फिर होलिका का दहन करें। रोली, अक्षत, चंदन लगाकर घर पर बने मिष्ठान का भोग अर्पण करें। एक कलश में जल भरकर होलिका की परिक्रमा करें। इसके बाद उस होलिका दहन मे गेहूं की बाली, नारियल, सप्तधान्य, एक सिक्का, भोग अवश्य अर्पण करें।Holi 2025 Date: 14 या 15 मार्च, क्या आपको भी है कंफ्यूजन? जानें होली की सही तारीख और शुभ मुहूर्त