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Badar Khan Suri Case: ट्रंप सरकार को बड़ा झटका, अमेरिकी कोर्ट ने भारतीय रिसर्चर के डिपोर्टेशन पर लगाई रोक, हमास से कनेक्शन का आरोप – badar khan suri case us court blocks deportation of indian researcher over alleged hamas link

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Badar Khan Suri Case: अमेरिका की एक अदालत ने डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन को जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के भारतीय मूल के रिसर्चर बदर खान सूरी को डिपोर्ट (देश से निकाले जाने) करने से रोक दिया है। उन्हें इमीग्रेशन अथॉरिटीज ने हिरासत में लिया था। सूरी एक पोस्टडॉक्टरल फेलो हैं। वह अमेरिका में छात्र वीजा पर पढ़ाई और टीचिंग का काम कर रहे हैं। आतंकी मसूह हमास का प्रपोगेंडा फैलाने के आरोप में उन्हें उनके घर से उठा लिया गया था। उनके डिपोर्टेशन की तैयारियां भी चल रही थी। लेकिन समय रहते अमेरिकी कोर्ट ने इस डिपोर्टेशन पर रोक लगा दी।अमेरिकी जिला जज पेट्रीसिया जाइल्स द्वारा तीन पैराग्राफ के आदेश के अनुसार, यह आदेश तब तक प्रभावी रहेगा जब तक कि अदालत इसे हटा नहीं देती। उनकी हिरासत के बाद डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने उन पर “हमास प्रचार” फैलाने और “एक ज्ञात या संदिग्ध आतंकवादी से घनिष्ठ संबंध” रखने का आरोप लगाया। डीएचएस में सहायक सचिव ट्रिसिया मैकलॉघलिन ने x (पूर्व में ट्विटर) पर कहा कि बदर खान सूरी “सक्रिय रूप से हमास प्रचार फैला रहे थे। साथ ही सोशल मीडिया पर यहूदी विरोधी भावना को बढ़ावा दे रहे थे।बदर खान सूरी के वकील ने आरोपों से इनकार किया। उन्होंने अदालत में दायर एक फाइलिंग में कहा कि भारतीय अकादमिक को उनकी पत्नी की “फिलिस्तीनी के रूप में पहचान और उनके संवैधानिक रूप से संरक्षित भाषण” के कारण निशाना बनाया जा रहा है।संबंधित खबरेंअमेरिकी कोर्ट का आदेशएक आदेश में एक अमेरिकी अदालत ने कहा कि बदर खान सूरी को “संयुक्त राज्य अमेरिका से तब तक नहीं हटाया जाएगा जब तक कि अदालत कोई विपरीत आदेश जारी नहीं करती”। उनकी पत्नी मेफेज़ सालेह ने कहा कि हिरासत ने “हमारे जीवन को पूरी तरह से उलट-पुलट कर दिया है।” उन्होंने आगे कहा, “हमारे बच्चों को अपने पिता की सख्त जरूरत है। वे उन्हें बहुत याद करते हैं। तीन बच्चों की मां होने के नाते, मुझे उनकी और मेरी देखभाल के लिए उनके समर्थन की सख्त जरूरत है।”जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के एक प्रवक्ता ने कहा कि बदर खान सूरी को “इराक और अफगानिस्तान में शांति निर्माण पर अपने डॉक्टरेट रिसर्च को जारी रखने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवेश करने के लिए वीजा दिया गया था”। उनकी हिरासत ऐसे समय में हुई है जब हाल के हफ्तों में अमेरिकी आव्रजन अधिकारियों द्वारा कई छात्रों और शिक्षाविदों की जांच की गई है।इससे पहले कोलंबिया यूनिवर्सिटी के महमूद खलील को 8 मार्च को परिसर में फ़िलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों में शामिल होने के बाद गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा कोलंबिया की छात्रा लेका कोर्डिया को “अपने छात्र वीजा की अवधि से ज्यादा समय तक रहने” के लिए अरेस्ट किया गया था। कोलंबिया यूनिवर्सिटी की एक अन्य छात्रा रंजनी श्रीनिवासन ने “सेल्फ-डिपोर्ट” का विकल्प चुना।ये भी पढ़ें- Pakistan Terror Attack: खैबर पख्तूनख्वा में बड़ा आतंकी हमला, पाकिस्तानी सेना के कैप्टन की मौतरंजनी श्रीनिवासन खुद को इमिग्रेशन संबंधी विवादों में फंसा हुआ पाया, जब न्यूयॉर्क सिटी में कोलंबिया यूनिवर्सिटी के कैंपस में कथित रूप से फिलिस्तीन समर्थक विरोध प्रदर्शनों में शामिल होने के कारण उनका स्टूडेंट वीजा रद्द कर दिया गया।

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