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EPF योगदान पर कैसे कैलकुलेट होता है ब्याज, टैक्स के लिए क्या हैं नियम; जानें पूरी डिटेल – how to calculate epf interest and contributions in 2025 with examples and tax rules

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EPF interest calculation 2025: EPF यानी कर्मचारी भविष्य निधि एक सेविंग स्कीम है। इसका मकसद रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों के वित्तीय भविष्य को सुरक्षित करना है। इसमें नौकरी के दौरान हर महीने सैलरी से एक निश्चित रकम कटती है और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के पास जमा होती है। इसमें आपका और आपके एम्प्लॉयर (कंपनी) दोनों का योगदान होता है।जब आप रिटायर होते हैं, तो आपको सारा पैसा एक साथ मिलता है। मतलब कि आपका जमा पैसा, कंपनी का जमा पैसा और उस पर हर साल मिला ब्याज। हालांकि, कई लोगों को EPF पर मिलने वाला ब्याज कैलकुलेट करने में दिक्कत होती है। आइए हम आपको ब्याज कैलकुलेट करने का बेहद आसान तरीका बताते हैं।2025 के लिए EPF ब्याज दर क्या है?संबंधित खबरेंसरकार समय-समय पर EPF ब्याज दर की समीक्षा करती है। वित्त वर्ष 2024-25 के लिए EPF की ब्याज दर 8.25% तय की गई है। यह दर 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक किए गए सभी EPF योगदान पर लागू होगी।हालांकि ब्याज मासिक रूप से कैलकुलेट किया जाता है, लेकिन इसे EPF खाते में हर वित्त वर्ष के अंत (31 मार्च) को जोड़ा जाता है। इसका मतलब है कि साल का कुल ब्याज एक साथ अंत में जोड़ा जाता है। इस हिसाब से महीने की ब्याज दर 0.688% (8.25% ÷ 12) होगी।EPF ब्याज कैसे कैलकुलेट करें?इसके लिए आपको ये जानकारियां चाहिए: कर्मचारी की उम्र मौजूदा EPF बैलेंस मासिक मूल वेतन + DA (अधिकतम ₹15,000 तक) योगदान प्रतिशत रिटायरमेंट उम्र ब्याज के कैलकुलेशन का उदाहरणअब मान लीजिए कि राहुल की बेसिक वेतन + DA = ₹30,000 प्रति महीना है। ऐसे में उनके EPF पर मिलने वाले ब्याज का कैलकुलेशन कुछ इस तरह होगा। राहुल का योगदान (EPF): 12% × ₹30,000 = ₹3,600 कंपनी का EPS में योगदान: 8.33% × ₹15,000 = ₹1,250 कंपनी का EPF में योगदान: ₹3,600 (राहुल का योगदान) – ₹1,250 (EPS) = ₹2,350 कुल मासिक योगदान (राहुल + कंपनी): ₹3,600 + ₹2,350 = ₹5,950 पहले महीने के बाद कुल बैलेंस: ₹5,950दूसरे महीने में बैलेंस में फिर जुड़ेंगे ₹5,950: ₹5,950 + ₹5,950 = ₹11,900ब्याज: 0.688% × ₹11,900 = ₹81.87इसी तरह हर महीने जोड़-जोड़ कर मार्च में पूरा ब्याज खाते में जुड़ता है। साल के आखिर में कुल योगदान और ब्याज मिलाकर जो रकम होगी, वही राहुल का EPF बैलेंस होगा। अगला साल इसी बैलेंस को लेकर शुरू होता है।EPF नहीं जमा करने पर क्या होता है?अगर किसी EPF खाते में लगातार 36 महीने तक कोई योगदान नहीं किया जाता, तो वह निष्क्रिय (Dormant) हो जाता है। फिर उस पर ब्याज नहीं जोड़ा जाएगा। EPF खाते में कर्मचारी मूल वेतन + महंगाई भत्ता (DA) का 12% EPF खाते में योगदान कर सकता है।नियोक्ता भी कर्मचारी के मूल वेतन + DA का 12% योगदान करता है। लेकिन, इसमें से 8.33% EPS (पेंशन योजना) में जाता है। बाकी 3.67% EPF में जमा होता है। अगर कर्मचारी और नियोक्ता चाहें, तो 12% से अधिक भी योगदान कर सकते हैं। लेकिन, उस पर टैक्स छूट नहीं मिलेगीEPF ब्याज पर टैक्स कैसे लगता है? अगर किसी कर्मचारी का सालाना योगदान ₹2.5 लाख से ज्यादा है, तो उस पर टैक्स लगेगा। ₹2.5 लाख तक के योगदान पर मिलने वाला ब्याज टैक्स-फ्री है। निष्क्रिय खातों पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह टैक्सेबल होता है। EPF योगदान पर ₹1.5 लाख तक की छूट धारा 80C के तहत मिलती है। अगर आपने 5 साल तक EPF में लगातार योगदान किया है, तो आंशिक निकासी पर कोई टैक्स नहीं लगता। यह भी पढ़ें :  Home Loan Tips: कम करना चाहते हैं होम लोन की EMI? इन 5 टिप्स पर कीजिए अमल

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