शौचालय बना खौफ का अड्डा, नशेड़ियों के डर से महिलाएं और लड़के जाने से कतरा रहे – delhi public toilets in slums taken over by drug users residents feel unsafe
सोचिए, अगर आपको रोजमर्रा की जरूरत के लिए भी डर के साए में जीना पड़े, तो जिंदगी कैसी होगी? दिल्ली के गोकुलपुरी में रहने वाले रवि की जिंदगी कुछ ऐसी ही है। लोग उसे गंदा और बेपरवाह कहते हैं, लेकिन कोई ये नहीं जानता कि उसके पास साफ-सफाई का विकल्प ही नहीं है। उसके घर में शौचालय नहीं है और सार्वजनिक शौचालयों का हाल इतना खराब है कि वहां जाना भी खतरे से खाली नहीं। रवि बताते हैं कि इन शौचालयों पर नशे में धुत लोगों का कब्जा होता है, जो हमला करने से भी नहीं कतराते।डर इतना है कि रवि जैसे कई लोग शौच जाने से भी कतराते हैं। ये कहानी सिर्फ एक इंसान की नहीं, बल्कि राजधानी की उस सच्चाई की है जो अक्सर चमचमाती इमारतों के पीछे छिप जाती है।नशेड़ियों ने बना लिया अड्डासंबंधित खबरेंशहर के कई सार्वजनिक शौचालय नशा करने वालों के अड्डे बन गए हैं। यहां टूटी हुई सिरिंज, एल्यूमिनियम फॉइल, दवाइयों के खाली पत्ते और शराब की बोतलें बिखरी रहती हैं। इन जगहों पर घुसते ही तेज बदबू और धुएं का सामना होता है।महिलाएं अकेले नहीं जातीं शौचालयमहिलाएं इन शौचालयों में अकेले जाने से डरती हैं। बच्चे भी वहां जल्दी-जल्दी काम निपटाकर बाहर निकल आते हैं। डर का माहौल बना हुआ है, जिससे सार्वजनिक सुविधा का उपयोग करना एक जोखिम भरा काम बन गया है।बूढ़ी महिलाओं ने संभाली निगरानीसाउथ दिल्ली के संजय कैंप में 80 साल की सुरेश और छाती नाम की दो महिलाएं खुद शौचालय की निगरानी करती हैं। उनका कहना है कि शाम होते ही वहां लड़कों की भीड़ लग जाती है और नशेड़ी लोग कब्जा कर लेते हैं, जिससे किसी अनहोनी की आशंका बनी रहती है।ड्रग्स का अड्डा बना दिया है शौचालयछाती बताती हैं कि रात में ड्रग्स का लेन-देन भी शौचालय के अंदर होता है। वे और सुरेश खुद भी सफाई का काम करती हैं, लेकिन वे अपने घर में शौचालय बनवाने की स्थिति में नहीं हैं।कर्मचारियों पर हमलेसीमापुरी के शौचालय में काम करने वाले मोहम्मद सईद ने अपने कंधे पर ब्लेड का ताजा घाव दिखाया। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने सफाई की कोशिश की, तो नशेड़ियों ने उन पर हमला कर दिया।जानलेवा साबित हो रहा है विरोध2017 में नांगलोई के एक केयरटेकर की हत्या कर दी गई थी क्योंकि उसने ड्रग्स के खिलाफ आवाज उठाई थी। सीमापुरी, बवाना जैसे इलाकों में भी विरोध करने वालों पर हमला होना आम बात हो गई है।सरकार ने क्या कहा?दिल्ली सरकार के अधिकारी का कहना है कि सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस की है, खासकर झुग्गी क्षेत्रों में। उन्होंने बताया कि 2025-26 में शौचालयों के लिए 200 करोड़ का बजट तय किया गया है, जिससे शौचालय सीटों की संख्या बढ़ाकर 40,000 करने की योजना है।इस गांव के लोग खाते हैं म्यांमार में और सोते हैं भारत में, किसान एक देश से दूसरे देश में करते हैं खेती