Rubber Farming: 40 साल तक कमाई का मौका, रबड़ की खेती से अब होगा मोटा मुनाफा – rubber farming know methods challenges and precautions for better yields and long term profit
अगर आप लंबे समय तक मुनाफा देने वाले किसी स्थायी कृषि मॉडल की तलाश में हैं, तो रबड़ की खेती आपके लिए एक स्मार्ट विकल्प हो सकती है। ये खेती न सिर्फ परंपरागत फसलों से अलग है, बल्कि इसमें एक बार निवेश करने के बाद सालों तक लगातार कमाई की संभावना रहती है। खास बात ये है कि रबड़ की मांग देश और विदेशों में लगातार बनी रहती है, जिससे इसके दाम स्थिर रहते हैं और जोखिम कम होता है। भारत के दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों में इसकी खेती बड़े स्तर पर की जाती है, जहां जलवायु और मिट्टी इसके लिए अनुकूल होती है।हालांकि, रबड़ के पौधों को उत्पादन योग्य बनने में कुछ साल लगते हैं, लेकिन एक बार जब पेड़ तैयार हो जाएं, तो हर साल लेटेक्स (दूधिया रस) निकालकर अच्छी कमाई की जा सकती है। आइए, आगे जानते हैं रबड़ की खेती की विधि, फायदे और जरूरी सावधानियां।कैसी हो जलवायु और मिट्टी?संबंधित खबरेंरबड़ के पेड़ उष्णकटिबंधीय जलवायु में सबसे अच्छे पनपते हैं। इसके लिए तापमान 20°C से 34°C के बीच होना चाहिए। बहुत ज्यादा ठंड या सूखा इसके लिए नुकसानदायक हो सकता है।मिट्टी की बात करें तो दोमट या लाल मिट्टी जिसमें पानी निकासी की सुविधा हो, सबसे उपयुक्त मानी जाती है। पीएच स्तर 4.5 से 6.0 के बीच होना चाहिए। जलभराव से बचने के लिए ढलान वाली भूमि को प्राथमिकता दें।खेती की शुरुआत ऐसे करेंसबसे पहले खेत को अच्छी तरह साफ कर लें और खरपतवार हटा दें।60x60x60 सेमी के गड्ढे बनाएं, जो 4-6 मीटर की दूरी पर हों।गड्ढों में जैविक खाद भरें और अच्छी गुणवत्ता वाले पौधे लगाएं।बडिंग तकनीक से तैयार पौधे जून-जुलाई (मानसून) में लगाएं।शुरुआती 2-3 सालों तक नियमित सिंचाई जरूरी होती है, खासकर सूखे मौसम में।समय-समय पर खरपतवार हटाएं और उर्वरकों का ध्यान रखें।फफूंद से बचाने के लिए फंगीसाइड का प्रयोग करें।पौधे 5-7 साल में लेटेक्स देने लगते हैं। पेड़ की छाल पर चीरा लगाकर लेटेक्स निकाला जाता है जिससे रबड़ बनती है।कितना हो सकता है मुनाफा?शुरुआत में कुछ साल कमाई नहीं होती, लेकिन 7वें साल के बाद लेटेक्स मिलना शुरू हो जाता है।एक पेड़ से सालाना 3-5 किलो लेटेक्स निकलता है।प्रति हेक्टेयर 1500-2000 किलो लेटेक्स मिल सकता है।बाजार में रेट 150 से 200 रुपये प्रति किलो हो सकता है।यानी प्रति हेक्टेयर सालाना 2 से 4 लाख तक की कमाई संभव है।अंतरवर्ती फसलें और अतिरिक्त कमाईजब तक रबड़ के पेड़ पूरी तरह बड़े नहीं हो जाते, तब तक आप केले, मूंगफली जैसी अंतर फसलें लगाकर अतिरिक्त आमदनी कर सकते हैं। वहीं, जब पेड़ 30-40 साल पुराने हो जाते हैं तो उनकी लकड़ी भी बेची जा सकती है, जिससे फर्नीचर उद्योग में अच्छा दाम मिलता है।रबड़ की खेती में क्या हैं चुनौतियां?शुरुआती 5-7 साल धैर्य की परीक्षा होती है क्योंकि तब तक कमाई नहीं होती।रबड़ की कीमतों में उतार-चढ़ाव किसानों के लिए जोखिम भरा हो सकता है।लेटेक्स निकालने के लिए प्रशिक्षित मजदूरों की जरूरत होती है।हालांकि, सही योजना, धैर्य और प्रबंधन से यह खेती बेहद लाभकारी साबित हो सकती है।Mushroom farming: ना ज्यादा जगह, ना ज्यादा खर्च! फिर भी होगी शानदार कमाई, जानिए कैसे