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भारतीय फार्मा कंपनियों पर अमेरिका नहीं लगाएगा ज्यादा टैरिफ, यूएस बेस वाली भारतीय कंपनियों के लिए अच्छे मौके – america will not impose high tariffs on indian pharma companies good opportunities for us based indian companies

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Trump’s Pharma Warning:  RECIPROCAL TARIFFS पर 90 दिनों का ब्रेक लगा हुआ है। लेकिन फार्मा सेक्टर पर ट्रंप की टेढ़ी नजर बनी हुई। ट्रंप ये चेतावनी पहले ही दे चुके हैं कि फार्मा इंडस्ट्री के लिए टैरिफ छूट जल्द खत्म हो सकता है। ट्रंप के इस बयान से फार्मा सेक्टर में अनिश्चितता का माहौल है। सवाल ये है कि ट्रंप के एक्शन से फार्मा कंपनियों की मुश्किलें कितनी बढ़ेंगी। फार्मा सेक्टर पर चर्चा करते हुए PFIZER के पूर्व MD और SAMARTH LIFE SCIENCES के प्रेसिडेंट केवल हांडा ने कहा कि यूएस को भारत करीब 9 अरब डॉलर का फार्मा एक्सपोर्ट करता है। फार्मा सेक्टर पर हाई टैरिफ प्ले करना ट्रंप सरकार के लिए मुश्किल होगा। इसका कारण है यह है कि 80 फीसदी फार्मास्युटिकल के रॉ मटेरियल्स यूएस में नहीं बनते बल्कि इंपोर्ट होते हैं। यानी यूएस में मैन्यूफैक्चरिंग बेस बहुत ज्यादा कमजोर है। इसलिए फाइजर,  Eli Lilly’s जैसे बड़ी कंपनी को ट्रंप ने कहा कि अब आप यूएस में रॉ मटेरियल्स बनाना शुरु करें। इन कंपनियों ने ट्रंप को आश्वासन दिया है कि वह इसपर काम करना शुरु करेगी।जायडस लाइफ, डॉ रेड्डीज, सन फार्मा ल्यूपिन जैसे भारतीय कंपनियों का बेस अमेरिका में है और यह मैन्यूफैक्चर भी करती है। उन्होंने आगे कहा कि यूएस में फार्मा प्रोडक्ट की शॉर्टेज हो रही है। चीन और यूरोप अमेरिका पर काउंटर टैरिफ लगाने पर विचार कर रहे है। ऐसे में भारतीय फार्मा कंपनियों पर 10 फीसदी से ज्यादा टैरिफ की आशंका कम है। भारतीय फार्मा कंपनियों पर अमेरिका ज्यादा टैरिफ नहीं लगाएगा। अगर ऐसा नहीं होता तो अमेरिकी फार्मा कंपनियों को सप्लाई की दिक्कत आ सकती है।उन्होंने इस बातचीत में कहा कि सिर्फ 10 फीसदी टैरिफ रहा तो भारतीय कंपनियों को फायदा होगा। टैरिफ से अमेरिका में दवा के दाम बढ़ सकते है। जेनेरिक दवा के इंपोर्ट में भारतीय जेनेरिक का हिस्सा 40 फीसदी रहा।संबंधित खबरेंअमेरिकी बेस वाली भारतीय कंपनियों के लिए अच्छे मौकेउन्होंने आगे कहा कि डॉ. रेड्डीज, सन फार्मा जाइडस, ल्यूपिन जैसे कंपनियां के बेस यूएस में है और ये सभी कंपनियां मैन्यूफैक्चर है। इस तरह से 25 फीसदी ड्यूटी हुई और यूएस ने इन कंपनियों को टैक्स या सब्सिडी में कुछ कनसेसन दिया तो ये सभी कंपनियां यूएस में अपने स्कैल को बढ़ाने के बारे में जरुर विचार करेगी और इन कंपनियां को ऐसा करना भी चाहिए। जिसके चलते अमेरिकी बेस वाली भारतीय कंपनियों के लिए अच्छे मौके है।फार्मा पर टैरिफ का क्या असर?फार्मा पर टैरिफ के असर की बात करें तो इससे US में जेनेरिक दवाओं की कीमत बढ़ सकती हैं। US में जेनेरिक दवाओं की कमी हो सकती है। कम मार्जिन वाले प्रोडक्ट का रेशनलाइजेशन हो सकता है। सप्लाई चेन में दिक्कतें बढ़ सकती हैंवित्त वर्ष 2024 में US में जेनेरिक दवा के इंपोर्ट आकंडों पर नजर डालें तो वहां होने वाले इंपोर्ट में भारतीय जेनेरिक का हिस्सा 40 फीसदी रहा। इस अवधि में भारत से 800 करोड़ डॉलर की जेनरिक दवाएं अमेरिका भेजी गईं। जायडस लाइफ, डॉ रेड्डीज, अरबिंदो फार्मा, ल्यूपिन और नैटको फार्मा की अमेरिकी मार्केट से 30-50 फीसदी कमाई होती है।(डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए विचार एक्सपर्ट के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदाई नहीं है। यूजर्स को मनी कंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले सार्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।

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