Chaitra Navratri 2025: इस शुभ मुहूर्त में करें कलश स्थापना, जानें क्या है पूजा विधि – chaitra navratri 2025 kalash sthapana shubh muhurat puja vidhi latest news
Chaitra Navratri 2025: हिंदू धर्म में नवरात्रि का काफी महत्व होता है। हिंदू धर्म में नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। आखिरी दिन राम नवमी मनाई जाती है। आपको बता दें साल में नवरात्रि साल में चार बार आती है, जिसमे से दो गुप्त नवरात्रि और दो चैत्र और शारदीय प्रमुख नवरात्रि मानी जाती हैं। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत मार्च-अप्रैल में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। वहीं शारदीय नवरात्रि आश्विन मास में आती है।चैत्र महीने के पहले दिन से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। हिंदू धर्म में नवरात्रि में अखंड ज्योत जलाने और कलश स्थापना का काफी महत्व होता है। आइए जानते हैं क्या है कलश स्थापना विधि और शुभ मुहूर्तक्या है घटस्थापना का शुभ मुहूर्तसंबंधित खबरेंवैदिक पंचांग के अनुसार,30 मार्च, रविवार को चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना का शुभ समय सुबह 6:13 से 10:22 बजे तक रहेगा इसके अलावा, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:01 से 12:50 बजे तक रहेगा, जिसमें 50 मिनट का समय मिलेगा। घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त में भी किया जा सकता है।नवरात्रि पूजा की आवश्यक सामग्रीनवरात्रि की पूजा के लिए इन सामानों की जरूरत होती है। इसमें कलश, गंगाजल, आम या अशोक के पत्ते,पान का पत्ता सुपारी, नारियल, लाल सूत्र, मौली, कपूर, रोली, अक्षत, लाल कपड़ा,श्रृंगार का सामान, लाल आसन,मिट्टी का बर्तन, फूल, चावल, लौंग, इलायची आदि।क्या है कलश स्थापना की विधिचैत्र नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। इसके लिए लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति रखें। इसके बाद फिर गणपति का ध्यान कर कलश में जल, गंगाजल, लौंग, हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा और सिक्का डालें। आम या अशोक के पत्ते रखकर इसे ढक्कन से ढक दें और ऊपर चावल या गेहूं भरें। अगर नारियल रख रहे हैं तो उस पर स्वास्तिक बनाकर लाल कपड़े से बांधें। इसके बाद कलश और मां दुर्गा की पूजा कर व्रत का संकल्प लें, मां को फूल, माला, सिंदूर, कुमकुम, प्रसाद चढ़ाएं और घी का दीपक जलाकर मंत्रों का पाठ व आरती करें।नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर दिन मां दुर्गा की एक विशेष रूप की पूजा होती है। इस दौरान भक्त व्रत रखते हैं। वहीं आठवें दिन कन्या पूजन किया जाता है, जिसमें छोटी बच्चियों को देवी का रूप मानकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है। नौवें दिन राम नवमी मनाई जाती है।Amarnath Yatra 2025: कब शुरू होगी अमरनाथ यात्रा और कैसे कराए रजिट्रेशन? बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए यहां जानें हर जानकारी