मेडिकल इमरजेंसी या फिर नौकरी का छूटना, क्या वित्तीय मुसीबत से निपटने के लिए तैयार हैं आप? – how to create an emergency fund are you prepared
Emergency Fund: जिंदगी में मुसीबत हमेशा बिना बताए ही आती है। कब क्या हो जाए, कुछ पता नहीं। अचानक नौकरी छूट सकती है, अस्पताल का भारी-भरकम बिल आ सकता है, या फिर कार अचानक खराब हो सकती है। तब सबसे बड़ा सवाल यही उठता है, अब क्या करें?यहीं आता है इमरजेंसी फंड का रोल। पर्सनल फाइनेंस की दुनिया में कई लोग इसे अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन वित्तीय सुरक्षा का यह पहला और सबसे जरूरी कदम है।इमरजेंसी फंड आखिर होता क्या है?संबंधित खबरेंयह एक अलग रखा गया वह पैसा होता है, जिसे केवल अचानक आने वाली आर्थिक परेशानियों से निपटने के लिए रखा जाता है। जैसे कि नौकरी जाना, मेडिकल इमरजेंसी, या घर-गाड़ी की जरूरी मरम्मत। यह पैसा किसी छुट्टी, गैजेट या शौक के लिए नहीं होता, बल्कि इसका मकसद सिर्फ आपकी वित्तीय स्थिरता बनाए रखना है, जब बाकी सारे रास्ते बंद हों।कितना पैसा होना चाहिए फंड में?फाइनेंशियल एक्सपर्ट का मानना है कि इमरजेंसी फंड का साइज आपकी आमदनी और जिम्मेदारियों पर निर्भर करता है। आइए इसे ठीक से समझते हैं: प्रोफाइल जरूरी फंड नौकरीपेशा 3 से 6 महीने के खर्च स्वरोजगार / फ्रीलांसर 6 से 12 महीने के खर्च रिटायर्ड कम से कम 12 महीने के जरूरी खर्च अगर आपके मासिक खर्च ₹50,000 हैं, तो 6 महीने का इमरजेंसी फंड ₹3 लाख और 12 महीने का ₹6 लाख होगा। आप अपनी सहूलियत और आर्थिक स्थिति के हिसाब से इमरजेंसी फंड को बढ़ा भी सकते हैं।इमरजेंसी फंड बनाते समय किन बातों का ध्यान रखें? अगर परिवार में कोई पुरानी बीमारी है, तो उस हिसाब से इमरजेंसी फंड बड़ा होना चाहिए। परिवार में अधिक सदस्य हैं, तो जिम्मेदारियां भी बड़ी होंगी। ऐसे में फंड भी बड़ा बनाएं। अगर आप कॉन्ट्रैक्ट या जोखिम वाले क्षेत्रों में काम करते हैं, तो इमरजेंसी फंड बड़ा रखें। पर्याप्त हेल्थ और टर्म इंश्योरेंस होने की स्थिति में इमरजेंसी फंड में कम रकम भी चलेगी। अगर लोन या EMI का बोझ अधिक है, तो इस सूरत में भी इमरजेंसी फंड में ज्यादा पैसे रखें। इमरजेंसी फंड का पैसा कहां रखें ?आपको इमरजेंसी फंड को इस तरह रखना चाहिए कि उसे तुरंत भुना सकें। इमरजेंसी फंड को शेयर बाजार या इक्विटी फंड्स, सोना या रियल एस्टेट या फिर लॉन्ग-टर्म लॉक-इन FDs में रखने से बचना चाहिए। क्योंकि यहां पैसे निकालने में अधिक वक्त लग सकता है, जबकि इमरजेंसी में पैसों की जरूरत तुरंत पड़ती है।सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर गौरव शर्मा का कहना है, ‘इमरजेंसी फंड एक एम्बुलेंस की तरह है, जब जरूरत पड़े, तो तुरंत उपलब्ध हो। ये किसी रिटर्न या जोखिम का साधन नहीं है।’आइए कुछ स्कीमों के बारे में जानते हैं, जिनमें आप इमरजेंसी फंड का पैसा रख सकते हैं। विकल्प फायदे ब्याज/निकासी ध्यान देने वाली बातें 1. सेविंग्स अकाउंट तुरंत निकासी, DICGC बीमा 2.5% – 4% ब्याज 1 महीने का खर्च यहीं रखें 2. फिक्स्ड डिपॉजिट (sweep-in) बेहतर ब्याज, पूंजी सुरक्षित 5% – 6% ब्याज Auto-break जरूरी FD ऐसी हो जो जरूरत पर अपने आप टूट जाए 3. लिक्विड म्यूचुअल फंड्स बेहतर रिटर्न, 24-48 घंटे में निकासी 5% – 6% (मार्केट-लिंक्ड) फंड का बड़ा हिस्सा यहीं रखें, जोखिम कम 4. ऑटो स्वीप अकाउंट्स सेविंग + FD का संतुलन, ऑटोमैटिक ट्रांसफर FD दरों पर ब्याज सभी बैंकों में नहीं, सुविधा सीमित 5. रिकरिंग डिपॉजिट अनुशासन, नियमित सेविंग की आदत फिक्स्ड रिटर्न, कम टेन्योर रखें जब आप फंड बनाना शुरू कर रहे हों तब उपयोगी इमरजेंसी फंड कैसे बनाएं ? सबसे पहले खर्चों का आकलन करें। अपनी हर महीने की सभी आवश्यक और गैर-आवश्यक खर्चों का हिसाब लगाएं। फिर तीन से छह महीने के खर्च के बराबर रकम बचाने की योजना बनाएं। आप हर महीने ₹1000-₹5000 जमा करके भी इमरजेंसी फंड बनाने की शुरुआत कर सकते हैं। अपने बैंक अकाउंट से हर महीने एक निश्चित राशि अपने इमरजेंसी फंड में ट्रांसफर करने का सेटअप करें। इमरजेंसी फंड का सालाना रिव्यू करें। शादी, बच्चे, लोन के साथ फंड की रकम में इजाफा करते रहें। मुंबई के फाइनेंशियल कोच निखिल मित्तल का कहना है कि इमरजेंसी फंड को सिर्फ असली आपात स्थितियों के लिए रखें। जैसे कि मेडिकल इमरजेंसी, नौकरी छूटना, सैलरी डिले, जरूरी ट्रैवल।अगर आपको शादी, ट्रैवल, गिफ्ट्स के लिए पैसे चाहिए, तो उसके लिए अलग सिंकिंग फंड बना सकते हैं। असल में इमरजेंसी फंड कोई फैंसी फाइनेंशियल टूल नहीं है। यह आपकी जिंदगी का बैकअप सिस्टम है। अगर आपके पास यह नहीं है, तो बाकी सभी निवेश खतरे में हो सकते हैं।यह भी पढ़ें : Financial Freedom: आराम की जिंदगी गुजारने के लिए कितना चाहिए पैसा… 10, 20 या 50 करोड़?