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इनकम टैक्स पेमेंट पर डिफॉल्ट किया है? तो भी जेल नहीं जाना पड़ेगा – no jail term for default in income tax payment cbdt issues circular regarding this

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सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने टैक्स कंप्लायंस को आसान बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। उसने कहा है कि इनकम टैक्स एक्ट के तहत सभी ऑफेंसेज अब कंपाउंडेबल होंगे। इसका मतलब है कि इनकम टैक्स से जुड़े ऑफेंस के मामलों में अब जेल जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। टैक्सपेयर्स पेनाल्टी चुकाकर जेल जाने से बच जाएंगे। हालांकि, इसके लिए टैक्स अथॉरिटीज का एप्रूवल जरूरी होगा।इनकम टैक्स (Income Tax) के लॉज में कुछ खास तरह के पेमेंट्स पर डिफॉल्ट करने पर जेल की सजा का प्रावधान है। उदाहरण के लिए अगर कोई टैक्सपेयर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल नहीं करता है, TDS डिपॉजिट नहीं करता है, टैक्स चोरी करता है या बुक्स ऑफ अकाउंट्स में फर्जीवाड़ा करता है तो जेल की सजा का प्रावधान है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024 में कंपाउंडिंग प्रोसेस को आसान बनाने का ऐलान किया था।इसके बाद CBDT ने 17 अक्टूबर, 2024 को गाइडलाइंस जारी की थी। कंपाउंडिंग एक मैकेनिज्म है, जो डिफॉल्टर को कंपाउंडिंग चार्जेज चुकाने के बाद कानूनी प्रक्रिया से बचने का विकल्प देता है। टैक्स अथॉरिटीज कंपाउंडिंग चार्जेज का निर्धारण करती हैं। CBDT ने अब इस बारे में स्पष्टीकरण पेश किया है। उसने सर्कुलर नंबर 04/2025 सवाल-जवाब के जरिए पूरे प्रोसेस को समझाने की कोशिश की है।संबंधित खबरें-सभी उल्लंघन पर कंपाउंडिंग की इजाजत दी गई है- सिंगल कंपाउंडिंग रिक्वेस्ट की जगह एक से ज्यादा अप्लिकेशन लगाने की इजाजत-कंपाउंडिंग अप्लिकेशन की फाइलिंग के लिए 36 महीने की टाइम लिमिट हटाई गई-सेक्शन 275ए और 276बी के तहत आने वाले ऑफेंसेज को भी कंपाउंडेबल बनाया गयाहालांकि, इसके लिए कीमत चुकानी पड़ेगी। सिंगल कंपाउंडिंग रिक्वेस्ट के लिए अप्लिकेशन फीस 25,000 रुपये है। कंसॉलिडेटेड अप्लिकेशन के लिए फीस 50,000 रुपये है। यह फीस नॉन-रिफंडेबल है। लेकिन, इसे अथॉरिटीज की तरफ से तय किए गए फाइनल कपाउंडिंग चार्ज के साथ एडजस्ट किया जा सकता है।इस बदलाव से बिजनेसेज और इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स को काफी राहत मिली है। उन्हें कानूनी कार्रवाई का डर अब नहीं है और वे खुद ही टैक्स कंप्लायंस में दिलचस्पी दिखाएंगे। यह कदम सरकार के उस कोशिश का हिस्सा है, जिसके तहत वह टैक्स के नियमों को टैक्सपेयर्स के लिए आसान बनाना चाहती है।यह भी पढ़ें: vivad se vishwas scheme: ‘विवाद से विश्वास’ स्कीम का फायदा 30 अप्रैल तक उठा सकते हैं टैक्सपेयर्स, जानिए क्या है यह स्कीमअब टैक्सपेयर्स अपने पहले के डिफॉल्ट के मामले को सेटल कर सकेंगे। कानूनी कार्रवाई के डर के बगैर वह टैक्स कंप्लायंस पर फोकस बढ़ा सकेंगे। हालांकि, टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स के नियमों का सही तरह से पालन करना हमेशा फायदेमंद है। इससे उन्हें गैर-जरूरी पेनाल्टी का सामना नहीं करना पड़ेगा।(लेखक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं। वह पर्सनल फाइनेंस खासकर इनकम टैक्स से जुड़े मामलों के एक्सपर्ट हैं)

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