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फोर्टिस के पूर्व प्रमोटर ने दी दिवालिया होने की अर्जी, कभी सबसे अमीर कारोबारियों में होती थी गिनती – fortis ex promoter shivinder singh files personal bankruptcy cites daiichi religare crisis

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कभी भारत के सबसे अमीर बिजनेसमैन में गिने जाने वाले फोर्टिस के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह (Shivinder Mohan Singh) ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) में अपने व्यक्तिगत दिवालापन का मामला दायर किया है। इसका मतलब यह है कि उन्होंने आधिकारिक रूप से यह स्वीकार किया है कि वह अपने सभी कर्ज चुकाने में सक्षम नहीं हैं। CNBC-TV18 की रिपोर्ट के मुताबिक, शिविंदर ने दावा किया है कि उनकी कुल संपत्ति उनके कर्ज से कम हैं।शिविंदर ने दिवालिया होने की अर्जी क्यों दी?संबंधित खबरेंशिविंदर ने दिवाला और ऋण शोधन संहिता (IBC) की धारा 94 का सहारा लिया है। यह इंडिविजुअल को दिवाला दाखिल करने का अधिकार देती है, जब वे अपने वित्तीय कर्ज का भुगतान नहीं कर पाते। अपने आवेदन में शिविंदर ने बताया कि अधिकांश उनकी संपत्ति पहले ही दाइची संक्यो (Daiichi Sankyo) के खिलाफ चल रहे मुकदमे के कारण अटैच या बेच दी गई हैं।दाइची विवाद और Religare का कुप्रबंधनशिविंदर ने 3,500 करोड़ रुपये के दाइची विवाद और Religare में मिसमैनेजमेंट को अपनी दिवालिया स्थिति की वजह बताई है। 2008 में शिविंदर और उनके भाई मलविंदर सिंह (Malvinder Singh) ने जापान की दाइची संक्यो को रैनबैक्सी लैबोरेटरीज (Ranbaxy Laboratories) में अपनी बहुमत हिस्सेदारी लगभग 4.6 बिलियन डॉलर में बेची थी। उसके बाद दोनों भाइयों ने मिलकर फोर्टिस और रेलिगेयर की नींव रखी। लेकिन, दाइची के साथ सौदा बाद में विवादों में घिर गया।दाइची मामले में अदालत का फैसला क्या था?दाइची ने सिंह भाइयों से मध्यस्थता के माध्यम से पैसा वसूलने की कोशिश की। भारतीय अदालतों ने उन्हें यह भुगतान करने का आदेश दिया। इस आदेश के बाद उनकी कई संपत्ति अटैच कर ली गईं। इनमें उनके निजी और व्यापारिक हिस्से शामिल हैं। इसमें आरएचसी होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड (RHC Holding Pvt. Ltd.) में उनकी हिस्सेदारी भी शामिल है।यह भी पढ़ें : Cyient Stocks: इस साल 31% टूट चुका है यह स्टॉक, क्या मौजूदा भाव पर निवेश करने से आगे तगड़ी कमाई होगी?

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