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Google पर ब्रिटेन में ₹55,000 करोड़ का मुकदमा, हारने पर देना होगा हजारों कंपनियों को मुआवजा – google uk ads monopoly lawsuit claims 55000 crore damages

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ब्रिटेन में गूगल के खिलाफ बड़ा कानूनी हमला हुआ है। टेक दिग्गज पर 5 अरब पाउंड (करीब ₹55,000 करोड़) का क्लास-एक्शन मुकदमा दायर किया गया है। आरोप है कि कंपनी ने सर्च और ऑनलाइन विज्ञापन बाजार में अपने एकाधिकार का गलत इस्तेमाल किया। इससे हजारों ब्रिटिश कंपनियों को आर्थिक नुकसान हुआ।यह मुकदमा बुधवार को UK Competition Appeal Tribunal में दायर किया गया। इसे प्रतिस्पर्धा कानून की विशेषज्ञ प्रोफेसर Or Brook ने फाइल किया है। वे ब्रिटेन की उन लाखों कंपनियों की तरफ से केस लड़ रही हैं जिन्होंने 2011 से अब तक Google Ads का इस्तेमाल किया है।संबंधित खबरेंगूगल पर क्या हैं आरोप? प्रतिस्पर्धा को दबाया: Google ने मोबाइल कंपनियों से समझौते कर Google Search और Chrome को डिफॉल्ट ऐप बनवा लिया। Android डिवाइसों में कोई दूसरा सर्च इंजन आसानी से नहीं आ सकता। Apple को अरबों डॉलर दिए: गूगल ने Safari ब्राउजर पर खुद को डिफॉल्ट सर्च इंजन बनाए रखने के लिए Apple को अरबों डॉलर का भुगतान किया। टूल के जरिए भेदभाव: Google का विज्ञापन मैनेजमेंट टूल टSearch Ads 360ट जब Google Ads के साथ इस्तेमाल होता है, तो ज्यादा सुविधाएं देता है। लेकिन जब वही टूल अन्य विज्ञापन प्लेटफॉर्म (जैसे Microsoft Ads) के साथ यूज किया जाता है, तो सीमित फीचर्स मिलते हैं। जबरन महंगे विज्ञापन: आरोप है कि Google ने अपने एकाधिकार का उपयोग कर के UK की कंपनियों को जरूरत से ज्यादा कीमतों पर विज्ञापन बेचने के लिए मजबूर किया। गूगल ने आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया दी है?Google का कहना है कि उसके खिलाफ सभी आरोप स्पेक्युलेटिव (Speculative) हैं यानी ये सिर्फ अनुमानों पर आधारित है, इसमें ठोस तथ्य या सबूत नहीं हैं। कंपनी ने कहा कि वह इस मुकदमे का पूरी ताकत से विरोध करेगी। गूगल ने कहा, “यूजर्स और विज्ञापनदाता गूगल का इस्तेमाल इसलिए करते हैं क्योंकि वह सहायक और उपयोगी है, न कि इसलिए कि कोई विकल्प नहीं है।”UK की Competition and Markets Authority (CMA) ने 2020 की अपनी स्टडी में कहा था कि सर्च विज्ञापन बाजार में गूगल की हिस्सेदारी 90% से भी ज्यादा है।इस केस का क्या असर हो सकता है?टेक लॉ एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह मामला गूगल के बिजनेस मॉडल की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल उठा सकता है। अगर Brook का पक्ष मजबूत रहा, तो यह केस Google के खिलाफ वैश्विक मिसाल बन सकता है। अगर अदालत ने आरोप सही माने, तो Google को हजारों कंपनियों को मुआवजा देना पड़ सकता है। डिजिटल विज्ञापन बाजार में कठोर नियम लागू हो सकते हैं। यूरोप और अमेरिका में चल रही एंटी-ट्रस्ट जांचों को इस फैसले से और बल मिल सकता है। यह भी पढ़ें : टाटा ग्रुप की TCS को आंध्र प्रदेश में 99 पैसे में मिली 21 एकड़ जमीन, क्या है इसकी वजह?

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