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झुलसाती गर्मी में इमारतों पर मंडराने लगा खतरा! क्या आपने लिया है प्रॉपर्टी इंश्योरेंस? – property insurance summer rising temperature can affect factory house property insurance is must

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Property: जैसे-जैसे देश में गर्मी बढ़ रही है, वैसे-वैसे घर, ऑफिस और फैक्ट्रियों पर भी इसका असर दिखने लगा है। ज्यादातर लोग लू और सेहत की चिंता करते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि तेज गर्मी इमारतों को भी नुकसान पहुंचा सकती है।गर्मी से बिल्डिंग को कैसे होता है नुकसान?पॉलिसीबाजार के एक्सपर्ट अमिताभ देववन के मुताबिक लगातार गर्मी से सीमेंट, डामर और लोहा जैसी चीजें बार-बार फैलती और सिकुड़ती हैं। इससे दीवारों में दरारें पड़ सकती हैं, छतें कमजोर हो सकती हैं और बिल्डिंग की मजबूती कम हो सकती है।संबंधित खबरेंकारोबारियों को ज्यादा खतराअगर आप फैक्ट्री या दुकान चलाते हैं, तो नुकसान का खतरा और ज्यादा है। अचानक आग लग जाए या कोई और प्राकृतिक आपदा हो जाए तो इंश्योरेंस ही आपकी मदद कर सकता है।आग लगने का भी बढ़ गया है खतरातेज गर्मी में वायरिंग या मशीनें ज्यादा गर्म होकर आग पकड़ सकती हैं। ऐसे में फायर इंश्योरेंस बहुत काम आता है। ये इंश्योरेंस बिल्डिंग, मशीन, सामान, फर्नीचर और बिजनेस के रुकने तक का नुकसान कवर करता है।इन बातों से करता है सुरक्षाफायर इंश्योरेंस आमतौर पर आग, बिजली गिरना, विस्फोट, भूस्खलन और तूफान जैसी चीजों से बचाव देता है। कुछ लोग भूकंप या जंगल की आग जैसे खतरों के लिए भी एक्स्ट्रा कवर लेते हैं।आपके लिए कौन-सी पॉलिसी सही है?भारत में 3 तरह की पॉलिसी मिलती हैं:इंडस्ट्रियल ऑल रिस्क पॉलिसी – बड़ी इंडस्ट्री के लिएस्टैंडर्ड फायर एंड स्पेशल पेरिल्स पॉलिसी – नाम लिखे जोखिमों के लिएभारत लघु/सूक्ष्म उद्यम सुरक्षा – छोटे कारोबारियों के लिएकब नहीं मिलेगा क्लेम?कुछ मामलों में बीमा नहीं मिलता, जैसे – जानबूझकर नुकसान, युद्ध, बिजली का लीकेज, प्रदूषण, 30 दिन से ज्यादा बंद पड़ा मकान या सिर्फ शॉर्ट सर्किट (अगर आग न लगी हो)।प्रीमियम कैसे तय होता है?बीमे की कीमत इस पर निर्भर करती है कि आप किस काम के लिए जगह का इस्तेमाल कर रहे हैं, पहले कितना नुकसान हुआ है, और आपने कौन-कौन से एक्स्ट्रा खतरे कवर कराए हैं। भारत को चार भूकंप जोनों में बांटा गया है, जिससे कुछ जगहों पर बीमा महंगा हो सकता है। गर्मी और जलवायु बदलाव से बढ़ते खतरे को देखते हुए अब प्रॉपर्टी इंश्योरेंस सिर्फ एक विकल्प नहीं, बल्कि जरूरत बन गया है।

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