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मकान मालिक ने सिक्योरिटी डिपॉजिट नहीं लौटाया? क्या हैं किरायेदार के कानूनी अधिकार – tenant legal rights security deposit india

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Tenant rights: भारत में किराए के मकान में रहने वाले लोगों को कई कानूनी और जिम्मेदारियों का पालन करना होता है। इसमें सबसे अहम है- सिक्योरिटी डिपॉजिट। आमतौर पर किरायेदार जब मकान छोड़ते हैं और उसमें कोई गंभीर नुकसान नहीं होता, तो मकान मालिक को डिपॉजिट लौटाना होता है। लेकिन हकीकत में कई बार ऐसा नहीं होता। कई मकान मालिक बिना कारण या गलत दलील देकर पैसे रोक लेते हैं।किराए के समझौते को समझना जरूरीकिराए पर घर लेने से पहले एक स्पष्ट और अच्छी तरह से लिखा हुआ रेंट एग्रीमेंट होना जरूरी है। इसमें यह बात स्पष्ट होनी चाहिए कि डिपॉजिट की रकम कितनी है, कैसे दी गई है, किस आधार पर पैसा काटा जा सकता है और रिफंड की प्रक्रिया क्या होगी।संबंधित खबरेंआप जब भी घर खाली कर रहे हों, मकान मालिक से लिखित में यह जरूर लें कि कितनी रकम लौटाई जा रही है। यह भविष्य में किसी विवाद की स्थिति में आपके पक्ष में काम आएगा।क्या हैं किरायेदार के कानूनी अधिकार?भारत में सिक्योरिटी डिपॉजिट पर नियम हर राज्य में अलग-अलग होते हैं, जो उनके अपने रेंट कंट्रोल एक्ट से चलते हैं। अधिकतर राज्यों में मकान मालिक दो से तीन महीने के किराए के बराबर डिपॉजिट ले सकते हैं। अगर किरायेदार ने मकान को सही हालत में लौटाया है, तो मकान मालिक को वह रकम लौटानी ही होती है। अगर वह ऐसा नहीं करता, तो किरायेदार के पास कानूनी विकल्प मौजूद हैं: Indian Contract Act, 1872 के तहत एग्रीमेंट का उल्लंघन होने पर केस किया जा सकता है। Consumer Protection Act, 2019 के तहत मकान मालिक के गलत व्यवहार की शिकायत की जा सकती है। Negotiable Instruments Act, 1881 के तहत अगर मकान मालिक रिफंड का चेक देकर बाउंस करवा दे तो शिकायत दर्ज की जा सकती है। डिपॉजिट वापस पाने के उपायकानूनी कदम उठाने से पहले आपसी सहमति हल निकालने की कोशिश करें। मेल या मैसेज के जरिए politely रिमाइंडर भेजें। अगर इसका असर नहीं होता, तो वकील के माध्यम से लीगल नोटिस भेजें। आमतौर पर इससे मकान मालिक समझौते को तैयार हो जाते हैं। फिर भी पैसे न मिले तो सिविल कोर्ट में केस किया जा सकता है। इसके लिए किराए का एग्रीमेंट, भुगतान के सबूत, फोटो और मैसेज जैसी चीजें जुटाना जरूरी है।इन बातों का ध्यान रखना भी जरूरी प्रॉपर्टी की कंडीशन का सबूत रखें। पहले दिन रूम की फोटो लेकर मकान मालिक के साथ शेयर करें। हर लेन-देन की रसीद रखें, फिर चाहे वह डिपॉजिट हो या मकान का किराया। डिपॉजिट को आखिरी महीने के किराए के रूप में न समझें। यह कानूनी रूप से सही नहीं है। मकान छोड़ने से पहले नोटिस पीरियड का पालन करें, वरना विवाद हो सकता है। अगर फिर भी मकान मालिक पैसे न लौटाए तो टेनेंट यूनियन, कंज्यूमर फोरम या ऑनलाइन लीगल हेल्प प्लेटफॉर्म का सहारा लें। आपकी थोड़ी सी जागरूकता न सिर्फ आपका पैसा बचा सकती है, बल्कि भविष्य के लिए सही मिसाल भी बन सकती है।यह भी पढ़ें : Gold Price में क्यों आई बड़ी गिरावट, किस वजह से सोना बेच रहे लोग?

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