Mango Man of India: एक ही पेड़ पर 350 किस्म के आम, किसने किया ये कारनामा? – malihabad kalimullah khan mango man grafted 350 varieties on one tree
Mango Man of India: अगर आम फलों का राजा है, तो कलिमुल्लाह खान बेशक उस राजा की शान बढ़ाने वाली मोतियों की माला बनाने वाले सबसे बेहतरीन कारीगर। 84 साल के कलिमुल्लाह खान की कहानी किसी साइंस लैब से नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के एक आम के बाग से शुरू होती है।एक ऐसा लड़का जो सातवीं क्लास में फेल हुआ, स्कूल छोड़ दिया और बागों में वक्त बिताने लगा। वही लड़का आज ‘मैंगो मैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर है। उनके नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में है और वो भारत सरकार के पद्मश्री सम्मान से नवाजे जा चुके हैं।लेकिन वो खुद को न कोई वैज्ञानिक मानते हैं और न ही कोई सेलिब्रिटी। उनका तार्रुफ बस इतना है कि वो आमों से प्यार करते हैं। कलिमुल्लाह खान को बस अपनी इसी पहचान से मुहब्बत है।संबंधित खबरेंआमों से जन्मी एक जिंदगीमलिहाबाद के अपने बाग में कलिमुल्लाह खान ने वो कर दिखाया जो शायद ही किसी ने सोचा हो, एक ही पेड़ पर 350 से ज्यादा किस्मों के आम। यह कोई जादू नहीं, बल्कि ग्राफ्टिंग यानी कलम बांधने की सदियों पुरानी तकनीक है। इसे कलिमुल्लाह ने अपनी मेहनत और प्रयोगों से नई ऊंचाई दी।1957 में उन्होंने पहली बार एक पेड़ पर सात किस्मों के आम उगाने की कोशिश की, लेकिन बाढ़ ने सब तबाह कर दिया। उसी तबाही से उन्होंने सीखा कि जमीन और पानी को कैसे समझना है। असफलता को उन्होंने प्रयोगशाला बनाया और प्रकृति से संवाद शुरू किया।125 साल पुराना पेड़आज जो पेड़ कलिमुल्लाह खान के बाग का ताज है, वो उनके दादा के समय का 125 साल पुराना है। इस पर दशहरी, लंगड़ा, केसर, चौसा, अल्फोंसो जैसी पारंपरिक किस्में हैं। साथ-साथ ‘नरेंद्र मोदी’, ‘ऐश्वर्या राय’, ‘सचिन तेंदुलकर’, ‘अनारकली’ जैसे अनोखे नामों वाली किस्में भी उगती हैं। यह नाम सिर्फ प्रचार के लिए नहीं, बल्कि उनके मन की भावनाओं से जुड़े हैं।कलिमुल्लाह The Better India से बात करते हुए कहा, ‘लोग मुझे सेल्फ-टॉट साइंटिस्ट कहते हैं। लेकिन ये सच नहीं है। सही बात तो ये है कि मुझे पेड़ों ने सिखाया है।’अनोखा हुनर है ग्राफ्टिंग ग्राफ्टिंग कोई आसान काम नहीं। इस प्रक्रिया में एक पेड़ के मजबूत तने पर दूसरी किस्मों की शाखाएं जोड़ दी जाती हैं। इसके लिए न केवल वैज्ञानिक समझ चाहिए, बल्कि काफी धैर्य भी चाहिए क्योंकि एक नई किस्म को विकसित करने में 10-12 साल लग सकते हैं। जैसे ‘दशहरी-कलीम’ किस्म को तैयार करने में 12 साल लगे।उनका पेड़ 9 मीटर ऊंचा है, और हर शाखा एक अलग कहानी कहती है। एक अलग स्वाद, रंग और खुशबू।भारत से विदेश तक फैलती खुशबूआज कलिमुल्लाह के बाग की खुशबू सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि दुबई और ईरान तक पहुंची है। वहां के किसान और रिसर्चर्स इस पेड़ को देखने आते हैं और ग्राफ्टिंग की तकनीक सीखते हैं। कलिमुल्लाह कहते हैं, ‘अगर मौका मिले, तो मैं रेगिस्तान में भी आम उगा सकता हूं।’कलिमुल्लाह खान की कहानी सिर्फ बागवानी की नहीं है। यह एक ऐसे इंसान की कहानी है जिसने जमीन से रिश्ता नहीं तोड़ा। उस शख्स ने न डिग्री देखी, न सुविधा; सिर्फ अपने जुनून और पेड़ों की भाषा को सुना। आज उनके आम के पेड़ सिर्फ फल नहीं देते, वो परंपरा और प्रयोग जीती-जागती मिसाल बन गए हैं।यह भी पढें : Maize Farming Tips: भुट्टे की ग्रोथ से परेशान किसान करें ये आसान उपाय, मिलेगा शानदार रिजल्ट