आज के समय में पर्सनल लोन पैसे की कमी को पूरा करने का एक अच्छा जरिया बन गया है- चाहे फिर किसी हॉलिडे के लिए पैसे की जरूरत हो या अचानक आई किसी मेडिकल इमरजेंसी के लिए पैसे चाहिए हों. पहले जहां लोन के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती थी, वहीं आज के डिजिटल दौर में पर्सनल लोन के लिए अप्लाई करना जैसे चुटकी बजाने का काम है, आप अपने फोन पर महज कुछ स्टेप्स फॉलो करके मिनटों में फंड का इंतजाम कर सकते हैं.उदाहरण के तौर पर, मनीकंट्रोल आपको पूरी तरह से डिजिटल पर्सनल लोन की सुविधा देता है. कम से कम प्रोसेसिंग फीस और पैसा सीधे आपके बैंक अकाउंट में आ जाता है. केवल तीन स्टेप्स में आप लोन के लिए अप्लाई कर सकते हैं – अपनी डिटेल भरें, KYC वेरिफिकेशन पूरा करें और अपने EMI रीपेमेंट प्लान को सेट करें.अब जब आपको ये तो पता चल गया है कि मनीकंट्रोल के जरिए पर्सनल लोन पाना कितना आसान है, तो यह समझना भी जरूरी है कि जिस इंटरेस्ट रेट पर आपको लोन मिलता है वो आपके फाइनेंशियल फ्यूचर पर बहुत असर डाल सकता है.आपके पर्सनल लोन के इंटरेस्ट रेट पर असर डालते वाले फैक्टर्स इनकम लेवल: आपकी इनकम आपके पर्सनल लोन पर इंटरेस्ट रेट निर्धारित करने में अहम भूमिका निभाती है. लेंडर्स हायर इनकम लेवल को फाइनेंशियल स्टेबिलिटी के तौर पर देखते हैं, जिससे आपको बेहतर शर्तों पर लोन मिल सकता है. लेकिन अगर आपकी इनकम कम है, तो बैंकों को लग सकता है कि आपको लोन देने में रिस्क है, जिसकी वजह इंटरेस्ट रेट ज्यादा हो सकता है. रीपेमेंट हिस्ट्री: अगर आपकी रीपेमेंट हिस्ट्री अच्छी है तो बैंकों का आप पर भरोसा बढ़ जाता है. इसलिए लेंडर्स आमतौर पर आपके लोन को अप्रूव करने से पहले आपके पिछले रीपेमेंट रिकॉर्ड को रिव्यू करते हैं. आपकी खराब रीपेमेंट हिस्ट्री से बैंकों को अपने लोन का पैसा डूब जाने का खतरा होता है. इसके चलते खराब रीपेमेंट हिस्ट्री वालों को अक्सर ज्यादा ब्याज दरों पर लोन मिलता है. क्रेडिट स्कोर: हाई क्रेडिट स्कोर दर्शाता है कि आपके डेट रीपेमेंट का ट्रैक रिकॉर्ड अच्छा है. जिससे लेंडर्स का भरोसा बढ़ जाता है, उन्हें लगता है कि आप समय पर लोन चुका पाएंगे और उनकी रकम डूबेगी नहीं. इसलिए बैंक अच्छे क्रेडिट स्कोर वालों को कम ब्याज दरों पर लोन ऑफर करते हैं. इसके उलट, एक खराब क्रेडिट स्कोर ड्यू पेमेंट की हिस्ट्री दर्शाता है, जो लेंडर्स के लिए एक बड़ा रिस्क बना सकता है. खराब क्रेडिट स्कोर वालों को लोन पर ज्यादा इंटरेस्ट देना पड़ सकता है या यहां तक कि उनकी लोन एप्लीकेशन को रिजेक्ट भी किया जा सकता है. डेट-टू-इनकम रेश्यो: आपकी फाइनेंशियल हेल्थ जांचने के लिए लेंडर्स एक मीट्रिक इस्तेमाल करते हैं – DTI (Debt-to-income) रेश्यो. हाई डेट-टू-इनकम रेश्यो यह दर्शाता है कि आपकी इनकम का एक बड़ा हिस्सा पहले से ही डेट के रीपेमेंट में जा रहा है, जिससे ऐसे व्यक्ति को आगे और लोन देना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. इसलिए लेंडर्स इस रिस्क को कवर करने के लिए लोन न देने या ज्यादा ब्याज दर पर लोन देने का विकल्प चुन सकते हैं. कम इंटरेस्ट पर पर्सनल लोन कैसे पाएं अपना क्रेडिट स्कोर सुधारें: आपका क्रेडिट स्कोर ब्याज दर को प्रभावित करने वाले सबसे अहम फैक्टर में से एक होता है. 750 से ऊपर का स्कोर बेहतरीन माना जाता है और इससे आपको कम ब्याज दर पर लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है. अपना स्कोर सुधारने के लिए, अपनी क्रेडिट रिपोर्ट में नियमित रूप से गलतियों की जांच करें और उन्हें सुधारें. अपने सभी क्रेडिट कार्ड पर अपने क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो को 30% से कम रखें और अपने सभी लोन और बिलों का समय पर पेमेंट करें. अच्छी रीपेमेंट हिस्ट्री मेंटेन करें: लेंडर्स आपके लोन चुकाने की काबिलियत समझने के लिए आपके पिछले रीपेमेंट बिहेवियर को बारीकी से देखते हैं. EMI और क्रेडिट कार्ड बैलेंस के समय पर पेमेंट के साथ एक अच्छी रीपेमेंट हिस्ट्री लेंडर्स का आप पर भरोसा बनाने में मदद करती है. लगातार अपने EMI का समय पर पेमेंट करने से न केवल आपका क्रेडिट स्कोर बढ़ता है, बल्कि यह फाइनेंशियल डिसिप्लिन को भी दर्शाता है. अपने डेट-टू-इनकम रेश्यो को कम करें: आपका DTI रेश्यो दर्शाता है कि आपकी इनकम का कितना हिस्सा पहले से ही कर्ज चुकाने में जा रहा है. कम DTI रेश्यो से पता चलता है कि आप फाइनेंशियली बहुत ज्यादा खर्च नहीं कर रहे हैं और एडीशनल डेट को हैंडल कर सकते हैं. अपने DTI को कम करने के लिए, पहले हाई-इंटरेस्ट वाले लोन चुकाने पर फोकस करें. निगोशिएट करें: जो पहला ऑफर आपको मिले, झट से उसी को स्वीकार न करें. अलग-अलग लेंडर्स अलग-अलग ब्याज दरें ऑफर कर सकते हैं. इसलिए पहले लोन ऑप्शंस की तुलना करें. ऑनलाइन टूल और फाइनेंशियल प्लेटफॉर्म आपको अलग-अलग लेंडर्स की ब्याज दरों की तुलना करने में मदद कर सकते हैं. लेंडर्स के साथ निगोशिएट करने में हिचकिचाएं नहीं. ₹50 लाख तक का इंस्टेंट लोन पाएंनिष्कर्ष कम ब्याज दर पर पर्सनल लोन मिलने से लंबे समय में आप अपना काफी पैसा बचा सकते हैं. इंटरेस्ट रेट पर असर डालने वाले फैक्टर्स के बारे में जानकर और अपनी फाइनेंशियल प्रोफाइल को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाकर, आप बेहतर शर्तों पर लोन मिलने की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं.मनीकंट्रोल 8 लेंडर्स के साथ पार्टनरशिप में 50 लाख रुपए तक के लोन तुरंत उपलब्ध कराता है. इसमें कोई छिपी हुई फीस नहीं है. यहां ब्याज दरें सालाना 10.5% से शुरू होती हैं और पूरा प्रोसेस डिजिटल है.सारांशडिजिटल लेंडिंग प्लेटफॉर्म के जरिए अब पर्सनल लोन के लिए अप्लाई करना बेहद आसान है. जानें कि इनकम, क्रेडिट स्कोर और रीपेमेंट हिस्ट्री जैसे फैक्टर आपके लोन की ब्याज दर को कैसे प्रभावित करते हैं और कैसे आप कम ब्याज दर पर लोन मिलने की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं.Top बैंकों/ NBFCs से₹50 लाखतक का इंस्टेंट लोन पाएंDisclaimerयह अंश/लेख किसी बाहरी पार्टनर द्वारा लिखा गया है और मनीकंट्रोल की संपादकीय टीम के काम को प्रतिबिंबित नहीं करता है। इसमें मनीकंट्रोल द्वारा पेश किए गए उत्पादों और सेवाओं के संदर्भ शामिल हो सकते हैं।लेखक के बारे मेंfintechक्रेडिट कार्ड, क्रेडिट स्कोर, पर्सनल लोन, फिक्स्ड डिपॉजिट आदि जैसे व्यक्तिगत वित्त उत्पादों के बारे में और जानेंयदि आपको लेख अच्छा लगा हो तो इसे अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें
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