सरकार ने निजी बीमा कंपनियों से पॉलिसीधारकों की फ्री लुक अवधि को एक माह से बढ़ाकर एक साल करने को कहा है। यह जानकारी वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम. नागराजू ने एक संवाददाता सम्मेलन में सोमवार को दी।
फ्री लुक वह अवधि होती है जब ग्राहक बीमा पॉलिसी को सरेंडर शुल्क अदा किए बिना निरस्त कर सकता है।
बीमा नियामक ने बीते साल इस अवधि को 15 दिन से बढ़ाकर 30 दिन कर दिया था। नागराजू ने बजट के बाद मुंबई में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, ‘सरकार ने बीमा कंपनियों को बीमा पॉलिसियों के लिए लुक आउट (फ्री लुक) अवधि 1 माह से बढ़ाकर 1 साल करने के लिए प्रोत्साहित किया है। यदि बीमाधारक इस अवधि के दौरान पॉलिसी को वापस करता है तो बीमाकर्ता को पहला जमा प्रीमियम वापस करना होगा।
नागराजू ने बताया, ‘सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बीमा पॉलिसियों में ‘वापस लेने’ (कॉल बैक) सुविधा लागू करने के बारे में कहा गया है। इसके तहत एक बार उत्पाद बिकने पर ग्राहक को ‘कॉल बैक’ दिया जाता है। इसके तहत ग्राहक उत्पाद से असंतुष्ट होने या यदि वह वैसे ही वापस करना चाहता है तो कर सकता है। हमने गलत ढंग से पॉलिसियां बेचे जाने से रोकने के लिए निजी कंपनियों से भी ऐसा करने के लिए कहा है।’
भारतीय बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (इरडाई) की वित्त वर्ष 24 की सालाना रिपोर्ट के अनुसार जीवन बीमा में गलत तरीके अपनाकर बेचे जाने के दर्ज मामले घटकर 23,335 हो गए जबकि ऐसे मामले वित्त वर्ष 23 में 26,107 दर्ज हुए थे।