SGB Scheme: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड खरीदना चाहते हैं? जोखिम के साथ समझ लीजिए निवेश की रणनीति – sovereign gold bond strategy risk return guide indian investors
SGB Scheme: भारत सरकार ने साल 2015 में Sovereign Gold Bond (SGB) योजना शुरू की थी। यह आज निवेशकों के लिए सोने में निवेश का एक भरोसेमंद विकल्प बन चुकी है। इसमें निवेशक फिजिकल गोल्ड खरीदे बिना उसकी कीमतों से जुड़ा लाभ कमा सकते हैं। साथ ही, उन्हें सालाना 2.5% ब्याज भी मिलेगा।लेकिन, सरकार ने 2024-25 से SGB की नई सीरीज जारी करना बंद कर दिया है। अब निवेशकों के पास सिर्फ सेकेंडरी मार्केट के जरिए ही SGB खरीदने का विकल्प बचा है, जैसे कि स्टॉक मार्केट में शेयर खरीदे बेचे जाते हैं। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि निवेशक SGB के मूल्य निर्धारण, लिक्विडिटी, और रणनीतियों को समझकर ही इसमें निवेश करें।क्या हैं Sovereign Gold Bonds?संबंधित खबरेंSGB दरअसल सरकार द्वारा RBI के माध्यम से जारी किए गए बॉन्ड होते हैं, जिनका मूल्य सोने की कीमतों से जुड़ा होता है। हर बॉन्ड एक ग्राम सोने के बराबर होता है। इसकी परिपक्वता अवधि 8 साल होती है। हालांकि, आप 5 साल बाद प्रीमैच्योर एग्जिट की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।SGB में निवेशकों को 2.5% का निश्चित सालाना ब्याज भी मिलता है, जो हर छह महीने में खातों में जमा होता है। ये बॉन्ड BSE और NSE पर लिस्टेड होते हैं और शेयर की तरह डीमैट खाते के जरिए खरीदे-बेचे जा सकते हैं।SGB की नई सीरीज को बंद क्यों किया गया?सरकार ने अप्रैल 2024 से SGB की नई सीरीज जारी करना बंद करने का निर्णय लिया है। इसका मुख्य कारण योजना की लागत में वृद्धि है। सोने की कीमतों में बीते वर्षों में बेतहाशा इजाफा हुआ है। 2015 की तुलना में आज इसकी कीमतें 250% से ज्यादा बढ़ चुकी हैं।ऐसे में सरकार पर इन बॉन्ड्स की मैच्योरिटी पर बड़ी रकम चुकाने का दबाव बढ़ रहा है। फिर भी SGB के तहत कुल ₹1.2 लाख करोड़ की देनदारी, भारत के ₹181 लाख करोड़ के कुल कर्ज के मुकाबले अब भी छोटी है।सेकेंडरी मार्केट में SGB कैसे काम करता है?SGB की नई सीरीज जारी होना बंद हो चुकी हैं, तो निवेशकों को SGB खरीदने के लिए स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड पुराने बॉन्ड्स की ओर रुख करना होगा। लेकिन यहां कई चुनौतियां हैं: प्राइस प्रीमियम: कई SGBs, IBJA (Indian Bullion and Jewellers Association) द्वारा तय सोने की रेफरेंस कीमत से 10-15% प्रीमियम पर बिक रहे हैं। इसका मतलब है कि निवेशकों को बाजार से सोने की तुलना में महंगा बॉन्ड खरीदना पड़ सकता है। लिक्विडिटी: सभी SGBs में कारोबार नहीं होता। कुछ बॉन्ड, जैसे SGB 2023-24 Series I और III, अधिक एक्टिव रहते हैं। वहीं, अन्य में खरीददार कम मिलते हैं, जिससे निकासी मुश्किल हो सकती है। SGB निवेशकों के लिए जरूरी रणनीतिअगर आप SGBs में सेकेंडरी मार्केट से निवेश करना चाहते हैं, तो इन 4 बिंदुओं पर ध्यान देना जरूरी है: ऐसे बॉन्ड्स खरीदें जिनमें नियमित रूप से कारोबार होता हो ताकि जरूरत पड़ने पर आसानी से बेचा जा सके। IBJA रेट से ज्यादा 10% तक का प्रीमियम समझ में आता है, लेकिन इससे ऊपर जाने पर रिटर्न घट सकता है। ऐसे बॉन्ड्स चुनें जिनकी मैच्योरिटी आपके फाइनेंशियल गोल्स से मेल खाती हो (जैसे 2030 या 2031 में मैच्योर होने वाले बॉन्ड्स)। अगर SGBs को मैच्योरिटी तक रखा जाए, तो पूंजीगत लाभ पूरी तरह टैक्स फ्री होता है। इसका लाभ लें। क्या SGB में निवेश सुरक्षित है?1 Finance में म्यूचुअल फंड की हेड रजनी टंडले (Rajani Tandale) का कहना है कि सोने की कीमत में 2015 से अब तक 250% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन सरकार की SGB देनदारी सिर्फ 1.2 लाख करोड़ रुपये है। यह भारत के कुल कर्ज (Rs 181.74 लाख करोड़) का एक छोटा हिस्सा है। इसका मतलब है कि सरकार के लिए SGB देनदारी ज्यादा परेशानी की वजह नहीं है।RBI की निगरानी और सरकारी गारंटी SGB बेहद सुरक्षित निवेश बनाती है। RBI के गोल्ड रिजर्व 560 टन से बढ़कर लगभग 900 टन हो चुके हैं। साथ ही, सरकार ने गोल्ड रिजर्व फंड भी बनाया है जो FY24 में ₹3,552 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹28,605 करोड़ हो गया है। यह बढ़ती देनदारियों को मैनेज करने में मदद करेगा।रजनी का कहना है कि SGB पर सरकार की गारंटी है। सरकार ने 2015 से अब तक SGB पर सभी भुगतान समय पर और बिना चूक किए हैं। इससे ये फिजिकल गोल्ड जितने ही सुरक्षित माने जाते हैं। सरकार ने बस योजना की लागत बढ़ने के चलते 2024 से नई सीरीज बंद करने का फैसला लिया था।यह भी पढ़ें : Gold Price: सोना हुआ सस्ता, दो हफ्ते के निचले स्तर पर रेट; क्या ये है खरीदारी का सही मौका?