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Stock Market Crash: शेयर बाजार में इन 5 कारणों से मचा त्राहिमाम, सेंसेक्स 3900 अंक टूटा, ₹15 लाख करोड़ से ज्यादा डूबे – stock market bloodbath sensex crashes 3900 points here are top 5 reasons behind the sharp decline

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Stock Market Crash: भारतीय शेयर बाजार सोमवार 7 अप्रैल को क्रैश हो गए। सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 3900 अंक या करीब 5 फीसदी टूट गया। वहीं निफ्टी करीब 1000 से भी अंकों का गोता लगाकर 21,750 के स्तर तक पहुंच गया। यह निफ्टी का पिछले 10 महीनों का सबसे निचला स्तर है। इस गिरावट से निवेशकों में हाहाकार मच गया। महज कुछ मिनटों में ही बीएसई में लिस्टेज कंपनियों की कुल मार्केट वैल्यू 15 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक घट गई। शेयर बाजार में फैली घबराहट का संकेत देने वाला इंडिया VIX इंडेक्स 55% उछल गया। निफ्टी आईटी इंडेक्स 7 फीसदी और फार्मा इंडेक्स 6% तक लुढ़क गए। सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में थे। एसई स्मॉलकैप और मिडकैप तो 10% तक क्रैश हो गए।शेयर बाजार में इस भारी गिरावट के पीछे 5 प्रमुख कारण रहे-1. ग्लोबल बाजारों में बिकवाली का तूफानदुनिया के लगभग सभी बड़े शेयर बाजार आज भारी दबाव में नजर आए। डोनाल्ड ट्रंप सरकार की आक्रामक टैरिफ नीति के चलते दुनिया भर के शेयर बाजारों में निवेशकों का भरोसा डगमगा गया है। रॉयटर्स के मुताबिक, ट्रंप ने रविवार को टैरिफ को “कड़वी दवा” बताया और कहा कि “कभी-कभी किसी चीज को ठीक करने के लिए कड़वी दवा लेनी पड़ती है।” उन्होंने यह भी साफ किया कि उन्हें शेयर बाजारों में गिरावट की चिंता नहीं है।संबंधित खबरेंएशियाई शेयर बाजारों में ताइवान वेटेड इंडेक्स में 10% की भारी गिरावट। चीन और हांग कांग के शेयर बाजार भी क्रैश हो गए। जापान के निक्केई में 7% की गिरावट देखी गई। इससे पहले शुक्रवार को अमेरिकी बाजारों में S&P 500 इंडेक्स में 5.97%, डॉव जोन्स में 5.50% और नैस्डैक में 5.73% की गिरावट देखी गई थी। ग्लोबल बाजारों में इस बिकवाली का सीधा असर भारतीय निवेशकों के मनोबल पर भी पड़ा।2. टैरिफ का असर अब भी पूरी तरह नहीं दिखाट्रंप प्रशासन ने 180 से अधिक देशों पर कड़े टैरिफ लगाए हैं, जिससे पूरी दुनिया के शयेर बाजारों में अनिश्चितता और डर बढ़ गया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेयर बाजारों ने अभी तक टैरिफ के असर का पूरी तरह से आकलन नहीं किया है। ब्रोकरेज फर्म इमके ग्लोबल ने बताया कि भारत पर इसका सीधा असर कम हो सकता है, लेकिन अमेरिका में मंदी का खतरा FY26 में Nifty के EPS (Earnings Per Share) पर लगभग 3% तक का नकारात्मक असर डाल सकता है। इससे निफ्टी का स्तर 21,500 तक गिर सकता है।3. आर्थिक मंदी का डरट्रंप की टैरिफ नीति से महंगाई बढ़ने, कंपनियों के मुनाफा घटने और कंज्यूमर सेंटीमेंट कमजोर होने की आशंका है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे ग्लोबल इकोनॉमी की ग्रोथ पर भी गंभीर असर पड़ सकता है। JP Morgan ने अमेरिकी और ग्लोबल स्तर पर मंदी आने की आशंका को 40% से बढ़ाकर 60% कर दिया है। उनके मुताबिक, अगर अमेरिका की यह नीति लंबे समय तक जारी रही, तो इससे ग्लोबल मंदी आना लगभग तय माना जा सकता है। भारत पर इसका सीधा असर भले ही सीमित हो, लेकिन वह ग्लोबल मंदी के असर से पूरी तरह अछूता नहीं रह सकता है।4. FPI की बिकवाली फिर शुरूमार्च में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयरों में खरीदारी की थी, लेकिन अप्रैल में एक बार फिर बिकवाली शुरू कर दी है। अब तक इस महीने FPI ने 13,730 करोड़ रुपये की बिकवाली कर चुके हैं। ट्रंप की नीति और ग्लोबल अनिश्चितता के चलते आशंका है कि अगर भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड को लेकर कोई बेहतर समझौता नहीं हो पाता है तो, तो विदेशी निवेशकों का पलायन और तेज हो सकता है।5. RBI की बैठक और तिमाही नतीजेबाजार में कुछ हद तक सावधानी भी देखी जा रही है क्योंकि RBI की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक 9 अप्रैल को होने वाली है। निवेशक उम्मीद कर रहे हैं कि बढ़ते ग्लोबल जोखिमों को देखते हुए RBI ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। साथ ही, इस हफ्ते से Q4 नतीजों का सीजन शुरू हो रहा है।TCS आगामी 10 अप्रैल को मार्च तिमाही के नतीजे पेश करेगी। इस बार सिर्फ नतीजे नहीं, बल्कि मैनेजमेंट की टिप्पणियां भी बेहद अहम होंगी क्योंकि सभी कंपनियां अब ट्रंप की नीति और ग्लोबल ट्रेड वार के पड़ने वाले असर का आकलन कर रही हैं। यह निवेशकों को आगे की राह दिखाने में अहम भूमिका निभाएंगी।यह भी पढ़ें- Stock Market Crash: शेयर बाजार की इस गिरावट में क्या करें निवेशक? कैसे बचाएं अपना घाटा? जानिए एक्सपर्ट्स की रायडिस्क्लेमरः Moneycontrol पर एक्सपर्ट्स/ब्रोकरेज फर्म्स की ओर से दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह उनके अपने होते हैं, न कि वेबसाइट और उसके मैनेजमेंट के। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।

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