Stock Market Crash: ट्रंप जानबूझकर गिरा रहे शेयर बाजार? आखिर क्या है उनका मास्टर प्लान – is trump deliberately crashing stock market how does it benefit him and america
Stock Market Crash: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ के बाद दुनिया भर के शेयर बाजारों में कोहराम मच गया। अमेरिकी शेयर बाजार में भी भारी गिरावट आई और निवेशकों के करोड़ों डॉलर खाक हो गए। इसके बाद एक बड़ा सवाल तेजी से सुर्खियां बटोर रहा है कि क्या ट्रंप जानबूझकर शेयर मार्केट को गिरा रहे हैं। और दिलचस्प बात यह है कि इस सवाल को खुद ट्रंप ने ही खड़ा किया है।ट्रंप ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर एक वीडियो शेयर किया। इसके मुताबिक, ट्रंप का शेयर मार्केट को गिराने का “वाइल्ड चेस मूव” अमेरिका को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की एक गुप्त योजना है। वीडियो में दावा किया गया है, “ट्रंप इस महीने स्टॉक मार्केट को जानबूझकर 20% गिरा रहे हैं। लेकिन वह ये सब जानबूझकर कर रहे हैं… और इससे आप अमीर बन सकते हैं।”इस वीडियो में यह भी दावा किया गया कि ट्रंप की नीति से कैश ट्रेजरी बॉन्ड्स में जाएगा। इससे फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में कटौती के लिए मजबूर होगा। यह दांव डॉलर को भी कमजोर करेगा, जिससे मॉर्गेज रेट घटेंगी और कर्ज लेना सस्ता हो जाएगा। यानी कुल मिलाकर आम अमेरिकी उपभोक्ताओं को फायदा होगा। ये विचार ‘J-Curve’ थ्योरी जैसा है, जिसमें निकट अवधि में नुकसान के बाद लॉन्ग टर्म में फायदे की उम्मीद की जाती है।संबंधित खबरेंवैश्विक बाजार में मची खलबलीट्रंप के टैरिफ ऐलान के बाद पूरी दुनिया का फाइनेंशियल सिस्टम हिल गया है। दो दिन की भारी गिरावट के बाद अमेरिकी शेयर बाजारों में भारी नुकसान हुआ। S&P 500 लगभग 6% गिरा और $2 ट्रिलियन का मार्केट कैप साफ हो गया। डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 2,200 अंक लुढ़क गया, और सिर्फ एपल ने $300 बिलियन का मार्केट वैल्यू खोया।भारत में भी इसका सीधा असर दिखा। सोमवार को सेंसेक्स 2,226 अंकों की गिरावट के साथ 73,137 पर बंद हुआ, जबकि इंट्रा-डे में यह 3,939 अंक गिरकर 71,425 तक पहुंच गया था। निफ्टी में भी 742 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। ये पिछले पांच वर्षों में सबसे बड़ी गिरावटों में से एक है।ट्रंप का टैरिफ प्लान आर्थिक राष्ट्रवाद है या सियासी दांव?ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ के तहत चीन और यूरोप समेत ज्यादातर देशों पर भारी टैरिफ लगाया है। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर 34% टैरिफ की घोषणा की है, जिससे वैश्विक व्यापार और भी अस्थिर हो गया है।ट्रंप ने सोमवार को चीन को चेतावनी दी, “वे मेरी चेतावनी को नजरअंदाज कर रहे हैं। अगर चीन ने 8 अप्रैल तक अतिरिक्त टैरिफ वापस नहीं लिया, तो उस पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा।” उन्होंने चीन को “अब तक का सबसे बड़ा टैरिफ अब्यूजर” बताया। ट्रंप ने कहा कि अमेरिका अब अरबों डॉलर उन देशों से कमा रहा है जिन्होंने दशकों तक इसका शोषण किया।फेडरल रिजर्व पर दबाव बनाना चाहते हैं ट्रंप?कई एक्सपर्ट मानते हैं कि ट्रंप का असली मकसद अमेरिकी फेडरल रिजर्व को ब्याज दरें घटाने पर मजबूर करना है। उन्होंने पिछले हफ्ते फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल से कहा कि यह “परफेक्ट समय है ब्याज दरें घटाने का,” और आरोप लगाया कि पॉवेल हमेशा देर से कदम उठाते हैं। सोमवार को भी उन्होंने कहा कि अमेरिका में कोई महंगाई नहीं है और ब्याज दरें कम होनी चाहिए।शेयर बाजार के क्रैश होने और उपभोक्ता मांग में संभावित गिरावट से फेडरल रिजर्व पर दरें घटाने का दबाव बढ़ सकता है। ब्याज दरों में कटौती का मतलब होता है सस्ते कर्ज, ज्यादा खर्च, ज्यादा निवेश और आखिरकार बाजार में नई जान। हालांकि पॉवेल ने कहा कि फेड किसी भी जल्दबाजी में नहीं है और कोई भी बड़ा फैसला लेने से पहले हालात का जायजा लिया जाएगा।ट्रंप की बातों का आखिर सच क्या है?ट्रंप द्वारा शेयर किया गया वीडियो न सिर्फ उनकी रणनीति का संकेत देता है, बल्कि इसमें वॉरेन बफे का झूठा हवाला देकर उनके समर्थन का दावा भी किया गया। बफेट की कंपनी बर्कशायर हैथवे ने इस दावे को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने ट्रंप की आर्थिक नीतियों का कोई समर्थन नहीं किया है।यहां बड़ा सवाल यह है कि क्या ट्रंप वाकई में बाजार गिरा रहे हैं या ये सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट है? अगर वे सच में जानबूझकर बाजार को गिरा रहे हैं, तो इसे अमेरिका के आर्थिक इतिहास में सबसे बड़ा “हाई रिस्क-हाई रिवॉर्ड” प्रयोग माना जाएगा।ट्रंप के ‘एक्सपेरिमेंट’ के क्या नतीजे हो सकते हैं?अगर फेड ब्याज दरें घटाता है तो इससे शेयर बाजार में दोबारा उछाल आ सकता है। कर्ज सस्ता होगा, निवेश बढ़ेगा और रोजगार में तेजी आ सकती है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि ट्रंप की ये रणनीति आखिर कितना लंबे तक वक्त टिक पाएगी? वैश्विक व्यापार पर इसका नकारात्मक असर पहले ही दिखने लगा है। अगर स्थिति और बिगड़ती है तो अमेरिका में महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक अस्थिरता भी बढ़ सकती है।यह भी पढ़ें : चीन के पलटवार पर भड़के ट्रंप, कहा- कल तक हटाए टैरिफ, नहीं तो फिर देंगे 50% का झटका