Tata Capital IPO: शेयर बाजार में लिस्टिंग की क्या है डेडलाइन; जानिए इश्यू साइज, शेयर बिक्री, कारोबारी सेहत समेत तमाम डिटेल – tata capital ipo check size listing deadline number of shares financials all you need to know
Tata Capital IPO: टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा कैपिटल ने अपने IPO के लिए ड्राफ्ट पेपर्स दाखिल कर दिए हैं। ड्राफ्ट, कॉन्फिडेंशियल प्री-फाइलिंग रूट के जरिए जमा किया गया। कंपनी ने इसे कैपिटल मार्केट रेगुलेटर सेबी के साथ-साथ BSE और NSE को भी जमा किया है। टाटा कैपिटल एक एनबीएफसी है और टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस की सब्सिडियरी है। टाटा संस के पास टाटा कैपिटल में 92.83 प्रतिशत हिस्सेदारी है।टाटा कैपिटल के IPO का साइज 2 अरब डॉलर है। कहा जा रहा है कि IPO के इस साइज पर कंपनी की वैल्यूएशन करीब 11 अरब डॉलर रह सकती है।संबंधित खबरेंIPO में कितने शेयरों की होगी बिक्रीटाटा कैपिटल के IPO में नए इक्विटी शेयरों के साथ-साथ कुछ शेयरहोल्डर्स की ओर से ऑफर फॉर सेल (OFS) भी रहेगा। दोनों के तहत कुल 2.3 करोड़ इक्विटी शेयर बिक्री के लिए रखे जाएंगे।कब तक आएगा IPOटाटा कैपिटल के IPO की डेट्स का खुलासा तो अभी नहीं हुआ है। लेकिन यह सितंबर 2025 से पहले आ जाएगा। इसकी वजह है कि टाटा कैपिटल को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से अपर लेयर NBFC (नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी) का दर्जा दिया गया है। RBI के आदेश के अनुसार, अपर लेयर NBFC के लिए यह मान्यता मिलने के 3 साल के अंदर शेयर बाजारों में लिस्ट होना जरूरी है। टाटा कैपिटल को सितंबर, 2022 में अपर लेयर NBFC के रूप में क्लासिफाई किया गया था। इसका मतलब है कि इसे सितंबर 2025 तक शेयर बाजारों में लिस्ट होना है।Listings This Week: 7 अप्रैल से शुरू सप्ताह में 3 कंपनियां होंगी लिस्ट, नहीं होगा कोई IPOकंपनी की कारोबारी सेहतवित्त वर्ष 2024 में टाटा कैपिटल को 18,178 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल हुआ था, जो सालाना आधार पर 34% अधिक रहा। कंपनी की लोन बुक सालाना आधार पर 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 1 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गई और मुनाफा भी 3,150 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। पिछले वित्त वर्ष 2025 की बात करें तो पहली छमाही में टाटा कैपिटल का ग्रोथ मोमेंटम जारी रहा और मुनाफा सालाना आधार पर 21 प्रतिशत बढ़कर 1,825 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।क्या होता है कॉन्फिडेंशियल प्री-फाइलिंग रूटयह रूट कंपनियों को लिस्टिंग पर अंतिम फैसले पर पहुंचने तक गोपनीयता की सुविधा देता है। अगर जरूरी हो तो वे बाद में बाजार की स्थितियों के आधार पर महत्वपूर्ण जानकारी का खुलासा किए बिना ड्राफ्ट को वापस भी ले सकती हैं। कॉन्फिडेंशियल प्री-फाइलिंग कंपनियों को सेंसिटिव बिजनेस डिटेल्स या फाइनेंशियल मेट्रिक्स और रिस्क्स को गोपनीय रखने की इजाजत देती है, खासकर कॉम्पिटीटर्स से। दूसरी ओर स्टैंडर्ड DRHP (ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस) फाइलिंग के बाद एक पब्लिक डॉक्युमेंट बन जाता है।