पुराने फ्लैट को नए फ्लैट से एक्सचेंज करने पर टैक्स नहीं, मुंबई ITAT का बड़ा फैसला – itat mumbai delivers important decision it says if a taxpayer gets a new flat in lieu of old flat then it attracts no tax
अगर आप अपने पुराने फ्लैट के एक्सचेंज में नया फ्लैट पाते हैं तो इस पर टैक्स नहीं चुकाना होगा। मुंबई इनकम टैक्स एपेलेट ट्राइब्यूनल (आईटीएटी) यह फैसला सुनाया है। उसने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति पुराने फ्लैट के एक्सचेंज में नया फ्लैट हासिल करता है तो उसे इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 56 के तहत टैक्स नहीं चुकाना पड़ेगा। इस सेक्शन में ‘अन्य स्रोत से इनकम’ के प्रावधान शामिल हैं। आइए समझते हैं यह पूरा मामला क्या है।क्या है पूरा मामला?अनिल पिटाले ने 1997-98 में एक फ्लैट खरीदा था। उन्होंने 2017 में इसे एक्सचेंज कर एक नया फ्लैट ले लिया। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने नए फ्लैट की स्टैंप ड्यूटी वैल्यू और पुराने फ्लैट की इंडेक्स्ड कॉस्ट के बीच के फर्क को टैक्सेबल इनकम माना। नए फ्लैट की स्टैंड ड्यूटी की वैल्यू 25.17 लाख थी, जबकि नए फ्लैट की इंडेक्स्ड कॉस्ट 5.43 लाख थी। दोनों का यह फर्क 19.74 लाख रुपये था, जिसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सेक्शन 56(2)(एक्स) के तहत टैक्सेबल इनकम माना था। इनकम टैक्स कमिश्नर (अपील) ने भी इसे सही माना।संबंधित खबरेंITAT ने किस आधार पर दिया फैसलाITAT ने इसे सही मानने से इनकार कर दिया। उसने कहा कि ऐसी रिडेवलपमेंट की डील में सेक्शन 56(2)(एक्स) के प्रावधान लागू नहीं होते हैं। ट्राइब्यूनल ने यह भी कहा कि ऐसे ट्रांजेक्शन पर कैपिटल गेंस टैक्स के प्रावधान लागू होने चाहिए। इसमें कहा गया है कि अगर प्रॉपर्टी के ट्रांजेक्शन से हुए प्रॉफिट को नए रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी खरीदने के लिए इनवेस्ट किया जाता है तो कैपिटल गेंस को टैक्स से छूट मिलती है।बड़ी संख्या में टैक्सपेयर्स को मिलेगी राहतआईटीएटी ने यह भी कहा कि टैक्स अथॉरिटीज ने इस मामले में सेक्शन 52(2)(एक्स) का इस्तेमाल किया, जो ठीक नहीं है। आईटीएटी के इस आदेश से बड़ी संख्या में ऐसे टैक्सपेयर्स को राहत मिली है, जो पुराने फ्लैट के एक्सचेंज में नया फ्लैट पाते हैं।