रीपो दर में 25 आधार अंक की कटौती के भारतीय रिजर्व बैंक के हालिया फैसले के बावजूद कॉरपोरेट बॉन्ड की यील्ड में वृद्धि कायम है। बाजार के भागीदारों के अनुसार यह वृद्धि बैंकिंग प्रणाली में बीते नौ महीनों से शुद्ध नकदी की कमी रहने के कारण जारी है। हालांकि यील्ड बढ़ाने वाला कारक कॉरपोरेट बॉन्ड की आपूर्ति बढ़ना भी है। दरअसल, कंपनियों ने पूंजी जुटाने के लिए अधिक ऋण पत्र जारी किए और इससे यील्ड पर ऊपर जाने का दबाव बढ़ा।
रिजर्व बैंक के नवीनतम आंकड़े के अनुसार बैंकिंग प्रणाली में सोमवार को शुद्ध नकदी में 1.8 लाख करोड़ रुपये की कमी थी। दूसरी तरफ, सरकारी बॉन्ड की यील्ड व्यापक रूप से इस अवधि में स्थिर रही। इससे कॉरपोरेट बॉन्ड और सरकारी बॉन्ड की यील्ड में अंतर बढ़ा। फरवरी में इन दो तरह के बॉन्डों की यील्ड में अंतर 25 आधार अंक तक बढ़ा जबकि दीर्घावधि बॉन्ड की तुलना में अल्पावधि बॉन्ड की यील्ड कहीं तेजी से बढ़ी। इसके परिणामस्वरूप यील्ड कर्व में व्युत्क्रमण की स्थिति आ गई जिसमें दीर्घावधि यील्ड की तुलना में अल्पावधि यील्ड ज्यादा होती है।
5 वर्षीय एएए रेटेड कॉरपोरेट बॉन्ड की सालाना यील्ड सोमवार को 7.46 फीसदी पर कारोबार कर रही थी जबकि 10 वर्षीय एएए रेटेड कॉरपोरेट यील्ड ने 7.30 फीसदी पर कारोबार किया।
रॉकफोर्ट फिनकैप एलएलपी के संस्थापक व प्रबंधकीय साझेदार वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने बताया, ‘कॉरपोरेट बॉन्ड की यील्ड विशेष तौर पर एएए रेटेड पीएसयू खंड में इनवर्टेड बनी रही। नियमित रूप से नकदी की कमी से बाजार पर असर पड़ा जबकि निवेशक निरंतर दीर्घावधि के साधनों को पसंद कर रहे हैं।’ 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड की यील्ड मंगलवार को 6.69 फीसदी पर रही जबकि यह सोमवार को सपाट थी।
हालांकि बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने सोमवार को 7.70 फीसदी की दर पर 10 वर्षीय इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड जारी करके 1,612 करोड़ रुपये जुटाए थे। बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नैशनल बैंक और भारतीय स्टेट बैंक के निकट भविष्य में बॉन्ड मार्केट से धन जुटाने की उम्मीद के कारण कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट में आपूर्ति बढ़ना तय है। इससे कॉरपोरेट बॉन्ड विशेष तौर पर अल्पावधि खंड के यील्ड पर और दबाव बढ़ने की उम्मीद है।