म्यूचुअल फंड के प्रदर्शन में ये चीज़ें होती हैं महत्वपूर्ण-इसलिए NAV को लेकर न हों परेशान – these numbers are important for the performance of a franchise fund dont worry about the touted nav
निवेश के लिए म्युचुअल फंड चुनते समय ज़्यादातर निवेशकों की उलझन रहती है, ‘क्या मुझे बेहतर रिटर्न पाने के लिए कम NAV (नेट असेट वैल्यू) वाले फंड में निवेश करना चाहिए? ’ यह एक अक्सर पूछा जाने वाला सवाल है। लोगों की मान्यता है कि कम NAV का मतलब होता है कि ये फंड सस्ते हैं और इनके तेज़ी से बढ़ने की संभावना होती है। क्या वाकई में ऐसा ही होता है? आइए हम पूरा सच समझते हैं और जानते हैं कि असल में कौन सी चीज़ें महत्वपूर्ण हैं। हम यह भी समझेंगे कि आपके लिए “Nivesh ka Sahi Kadam” क्या है और इसके लिए कौन से मापदंड हैं।NAV क्या होते हैं और यह हमारे लिए क्यों महत्वपूर्ण है?NAV आसान भाषा में कहें, तो किसी म्यूचुअल फंड की प्रति यूनिट कीमत होती है, इसकी गणना ऐसे की जाती है:संबंधित खबरेंNAV = कुल बची हुई इकाइयां/(कुल संपत्ति – कुल देनदारी)यह किसी फंड की एक यूनिट के मौजूदा बाज़ार मूल्य को दिखाता है। NAV फंड की संपत्तियों में परिवर्तन के आधार पर रोज़ बदलता रहता है। हालांकि, इसे किसी फंड की गुणवत्ता, विकास की संभावनाओं या अपेक्षित रिटर्न का आधार नहीं माना जा सकता है।सच्चाई: NAV किसी भी तरह से रिटर्न प्रभावित नहीं कर सकता हैकिसी फंड का NAV ₹10 या ₹100 ही क्यों न हो, आपके निवेश पर मिलने वाला रिटर्न, फंड के रिटर्न प्रतिशत पर निर्भर करता है न कि NAV की शुद्ध स्थिति पर। अगर आप किसी फंड में ₹10,000 निवेश करते हैं जिसका NAV ₹10 है, तो आपको 1,000 यूनिट मिलेंगी। ₹100 के NAV वाले फंड में यही रकम आपको 100 यूनिट देती है। अब मान लेते हैं कि दोनों ही फंड 10% बढ़ते हैं, तो दोनो ही फंड में किया गया आपका निवेश ₹11,000 तक बढ़ जाता है – फिर चाहे शुरुआती NAV जो भी रहा हो।निवेश करते समय किन चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए?● फंड का प्रदर्शन: किसी भी फंड के लंबे समय में रिटर्न देने की क्षमता का विश्लेषण करें। खास तौर पर 5- और 10-साल की अवधि में। यह भी देखें कि बाज़ार के उतार-चढ़ाव के बीच फंड का प्रदर्शन कैसा रहा है।● पोर्टफ़ोलियो की गुणवत्ता: किसी फंड में निवेश करने से पहले देखें कि उस फंड या कंपनी का निवेश किन संपत्तियों और क्षेत्रों में है। एक मज़बूत और विविधता भरा पोर्टफ़ोलियो स्थिरता और बेहतर रिटर्न की संभावनाओं से भरपूर होता है।● फंड मैनेजर का रिकॉर्ड: लगातार बेहतर रिटर्न देने में फंड मैनेजर की रणनीति और विशेषज्ञता एक बड़ी भूमिका निभाते हैं।● निवेश रणनीति: अपने आर्थिक लक्ष्यों और जोखिम उठाने की क्षमता को ध्यान में रखते हुए निवेश के लिए फंड्स का चुनाव करें।SIPs और NAV: निवेश की दुनिया में जीत के दो आधारसिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIPs) ऐसी सुविधा है, जिसके तहत आप नियमित निवेश कर सकते हैं। जब NAV कम हो, तब ज़्यादा यूनिट खरीद लेनी चाहिए। जब Nav ज़्यादा हो, तो उस दौरान प्रति यूनिट के दाम भी बढ़ जाते हैं, तब कम यूनिट खरीदनी चाहिए। इससे समय के साथ आपका औसत लागत मूल्य कम होता जाता है। यह बाज़ार में आने वाले उतार-चढ़ाव या मंदी के दौर में जोखिम कम करता है। इसे औसत लागत कम करने की रणनीति कहते हैं।Nivesh ka Sahi Kadam: NAV से आगे बढ़कर सोचें“Nivesh ka Sahi Kadam” उठाने काम मतलब है कि NAV से आगे बढ़कर देखें और बेहतर रिटर्न की संभावनाओं पर ध्यान दें। जब आप किसी फंड के प्रदर्शन, पोर्टफ़ोलियो और प्रबंधन को ध्यान में रखकर निवेश करते हैं न कि सिर्फ़ NAV के आधार पर, तो Mutual Funds Sahi Hai वाली बात सच साबित होती है।यह वीडियो देखें, इसमें सुब्बू (Subbu) ने बताया है कि फंड के पोर्टफ़ोलियो, प्रबंधन की गुणवत्ता और अतीत में किसी फंड का प्रदर्शन कैसा रहा है जैसी बातों पर ध्यान देना चाहिए – न कि सिर्फ NAV पर।ज़्यादा जानकारी के लिए यहां देखें: डिसक्लेमर: डिसक्लेमर: म्युचुअल फंड निवेश बाज़ार जोखिम के अधीन है। निवेश का फ़ैसला लेने से पहले स्कीम से जुड़े सभी दस्तावेज़ ध्यान से पढ़ें। किसी फंड का अतीत में किया प्रदर्शन भविष्य में वैसे ही प्रदर्शन की गारंटी नहीं है।