ट्रेंडिंग
'कोई भी किसी का ऑनलाइन वोट नहीं काट सकता' चुनाव आयोग ने ज्ञानेश कुमार के खिलाफ राहुल गांधी के आरोप क... Top Trading ideas: एक्सपर्ट्स की इन बुलिश शेयरों पर लगाए दांव, पोर्टफोलियो में होगा फायदा ही फायदा -... Rahul Gandhi Press Conference: राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर 'वोट चोरी' के दिए सबूत! CEC ज्ञाने... Poonawalla Fincorp Shares: प्रमोटर ने खरीदे इतने शेयर, 14% उछलकर शेयर पहुंचे एक साल के नए हाई पर - p... Boat AI smartwatch Launches: boAt की पहली AI स्मार्टवॉच लॉन्च, कीमत सिर्फ ₹3,299 से शुरू - boat laun... DMart Share Price: चार वजहों से यूबीएस ने बढ़ाया टारगेट प्राइस, उछल पड़ा डीमार्ट - avenue supermarts... 'आतंकियों के जनाजे में अफसरों को जाने का दिया था आदेश...', जैश कमांडर के बयान से बेनकाब हुए असीम मुन... Market insight: खपत से जुड़े शेयरों के दम पर बाजार में बनी रहेगी तेजी, IT और कैपेक्स से जुड़ी कंपनिय... Rupee Vs Dollar: शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 16 पैसे गिरकर 88.01 पर आया - rupe... शेयर बाजार में लौट रही तेजी? 11 महीने के हाई पर पहुंची BSE पर लिस्टेड कंपनियों की मार्केट वैल्यू - b...

US Fed Rate cut : फेड की ब्याज दर में कटौती के बावजूद भारत में FII खरीदारी बढ़ने की उम्मीद नहीं -एक्सपर्ट्स – fii buying in india is unlikely to increase despite fed interest rate cut experts us fed rate cut

2

US Fed Rate cut : अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा 2025 में पहली बार ब्याज दर में कटौती करने से उभरते बाजारों के सेंटीमेंट में सुधार होने की उम्मीद है। लेकिन भारत अभी भी इस मामले में पीछे नजर आ रहा है,क्योंकि विदेशी निवेशक महंगे वैल्यूएशन और धीमी अर्निंग ग्रोथ को लेकर सतर्क बने हुए हैं। सितंबर में फेडरल रिजर्व द्वारा साल में की गई 25 बेसिस प्वाइंट की पहली ब्याज दर कटौती के बाद भी भारत में विदेशी निवेशकों की खरीदारी में तुरंत किसी बढ़त की उम्मीद नहीं है।फेड का यह कदम नीतियों में नरमी के चक्र की शुरुआत का संकेत है। आमतौर पर नीतियों में नरमी से उभरते बाजारों के सेंटीमेंट में सुधार होता है। लेकिन एनालिस्ट्स का मानना ​​है कि महंगे वैल्यूएशन की वजह से ग्लोबल निवेशक भारत की जगह दूसरे बाजारों की ओर रुख कर सकते हैं। जिससे चलते अमेरिका में दर कटौती का भारत को तत्काल कोई फायदा मिलता नहीं नजर आ रहा है।मार्केट एक्सपर्ट अजय बग्गा का कहना है कि भारत के महंगे वैल्यूएशन और सिंगल डिजिट कमजोर अर्निंग ग्रोथ के कारण विदेशी निवेशक हमारे बाजारों कम रुचि दिखा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि मजबूत अर्निंग ग्रोथ और टेक्निकल एवं ऑर्टिफिसियल इंटेलीजेंस के प्रति निवेशकों के उत्साह के कारण दक्षिण कोरिया और चीन के बाजार में विदेशी निवेशकों की रुचि ज्यादा है। खासकर अगर ट्रेड टैरिफ में ढील दी जाती है तो, फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती से साल के अंत तक संटीमेंट में बदलाव आना शुरू हो सकता है।मार्केट एक्सपर्ट अंबरीश बालिगा बाजार के मिड टर्म आउटलुक को लेकर ज़्यादा आशावादी हैं। उन्होंने कहा,”विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) भारत को लंबे समय तक नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते। भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 6.5 फीसदी है, जबकि अमेरिका में यह 3.3 फीसदी और चीन में 4 फीसदी है।” उन्होंने आगे कहा, “एक बार टैरिफ़ की अनिश्चितता दूर हो जाए और व्यापार वार्ता आगे बढ़ जाए,तो विदेशी निवेश फिर से शुरू हो जाना चाहिए।”प्रदर्शन आंकड़े इस अंतर को स्पष्ट करते हैं। MSCI इमर्जिंग मार्केट उंडेक्स 2025 में 25 फीसदी चढ़ा है। इसमें MSCI चीन ने 35 फीसदी की तेजी के साथ लीडरशिप की, जबकि भारत में केवल 5 फीसदी की बढ़त हुई है। विदेशी निवेश भी यही ट्रेंड दिखा रहा है। चीन,जापान और ताइवान में सबसे ज्यादा FII निवेश हुआ है। जबकि भारत से इस वर्ष 15.4 अरब डॉलर की एफआईआई निकासी हुई है। जुलाई के अंत तक,71 फीसदी बड़े इमर्जिंग मार्केट फंड भारत पर अंडरेट थे,जबकि एक महीने पहले यह 60 फीसदी फंड ही अंडरवेट थे।अर्निंग के फ्रंट पर भी भारत दूसरे उभरते बाजारों की तुलन में पीछे है। एलारा कैपिटल के विश्लेषकों ने बताया कि डॉलर के लिहाज से, निफ्टी EPS की ग्रोथ रेट दर सालाना आधार पर सिर्फ़ 4 फीसदी रही, जिससे भारत ग्लोबल स्तर पर मध्य से निचले स्तर पर में आ गया। तुलनात्मक रूप से देखें तो दक्षिण कोरिया में 45 फीसदी और ताइवान में 20 फीसदी EPS ग्रोथ दर्ज की गई है।