1 अप्रैल से लगेगा प्रोफेशनल टैक्स, सैलरी और प्रोफेशनल पर क्या होगा इसका असर? – aadhra pradesh government collect professional tax from 1 april 2025 salaried professional people
Professional Tax: आंध्र प्रदेश सरकार ने 1 अप्रैल 2025 से प्रोफेशनल टैक्स की वसूली की जिम्मेदारी कमर्शियल टैक्स विभाग (Commercial Taxes Department) को सौंप दी है। भारत में कई राज्यों में प्रोफेशनल टैक्स लागू है, जो अलग-अलग प्रोफेशन, कारोबार और नौकरियों में लगे लोगों पर लगाया जाता है।क्या है प्रोफेशनल टैक्स?प्रोफेशनल टैक्स राज्य सरकार का लगाया जाने वाला टैक्स है, जो सैलरी और अन्य कामकाजी व्यक्तियों से लिया जाता है। इसे राज्य का कमर्शियल टैक्स विभाग (Commercial Tax Department) कलेक्ट करता है और यह अमाउंट नगरपालिका को दिया जाता है।संबंधित खबरेंकौन देता है प्रोफेशनल टैक्स?सैलरी क्लास लोगों के वेतन से नियोक्ता लेता है।कारोबार और प्रोफेशनल जैसे डॉक्टर, वकील, चार्टर्ड अकाउंटेंट आदि स्वयं पेमेंट करते हैं।यह टैक्स हर राज्य में अलग-अलग दरों पर लागू होता है।कहां-कहां लगता है प्रोफेशनल टैक्स?प्रोफेशनल टैक्स कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, केरल, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब और नागालैंड जैसे राज्यों में लगाया जाता है।प्रोफेशनल टैक्स की अधिकतम लिमिटकिसी भी राज्य में अधिकतम 2,500 रुपये सालाना तक प्रोफेशनल टैक्स लिया जा सकता है। कुछ राज्यों में महिलाओं के लिए टैक्स छूट भी दी जाती है।कुछ राज्यों में प्रोफेशनल टैक्स के स्लैब रेट्सआंध्र प्रदेश15,000 रुपये तक की मासिक आय – कोई टैक्स नहीं15,001 रुपये से 20,000 रुपये – 150 रुपये मंथली20,000 रुपये से अधिक – 200 रुपये मंथली6,000 रुपये तक – कोई टैक्स नहीं6,000 रुपये से 8,999 रुपये – 80 रुपये मंथली9,000 रुपये से 11,999 रुपये – 150 रुपये मंथली12,000 रुपये से अधिक – 200 रुपये मंथलीमहाराष्ट्रपुरुषों के लिए 7,500 रुपये तक – कोई टैक्स नहींमहिलाओं के लिए 10,000 रुपये तक – कोई टैक्स नहीं7,501 रुपये से 10,000 रुपये (पुरुष) – 175 रुपये मंथली10,000 रुपये से अधिक – 200 रुपये मंथली (अंतिम माह 300 रुपये)15,000 रुपये तक की आय – कोई टैक्स नहीं15,000 रुपये से अधिक – 200 रुपये मंथलीप्रोफेशनल टैक्स क्यों जरूरी है?यह टैक्स राज्य सरकार के राजस्व का हिस्सा है, जिसका इस्तेमाल पब्लिक सर्विस और डेवलपमेंट के कामों में किया जाता है। इसका समय पर पेमेंट करना जरूरी होता है ताकि कानूनी परेशानी न हो।